scriptपरीक्षकों की लापरवाही से शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा दांव पर | RBSC Board's reputation at stake due to the negligence of examiners | Patrika News
अजमेर

परीक्षकों की लापरवाही से शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा दांव पर

AJMER NEWS -RBSC BORD :
1.20 : करोड़ कॉपियां जंचवाता है माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान
25 : हजार व्याख्याताओं को सौंपी जाती है जिम्मेदारी
1.50 लाख के करीब विद्यार्थी कराते हैं प्रतिवर्ष संवीक्षा
20 से 25 हजार परीक्षार्थियों के बढ़ जाते हैं अंक
40 से 50 अंक तक होती है री-टोटलिंग में बढ़ोतरी
20 : लाख विद्यार्थी शामिल होते हैं बोर्ड परीक्षा में

अजमेरSep 30, 2019 / 01:44 am

युगलेश कुमार शर्मा

परीक्षकों की लापरवाही से शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा दांव पर

परीक्षकों की लापरवाही से शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा दांव पर

सुरेश लालवानी

अजमेर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान (RBSC) परीक्षाओं (EXAM) की उत्तर पुस्तिकाएं (answer copy) जांचने में परीक्षकों द्वारा बरती जा रही लापरवाही जहां विद्यार्थियों (students) की मेहनत पर भारी पड़ रही है, वहीं शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा (re-totling ) में प्रतिवर्ष 20 से 25 हजार विद्यार्थियों के अंक बढ़ जाते हैं। संवीक्षा की बदौलत कई विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं में तो 40 से 50 तक अंकों की बढ़ोतरी हो जाती है।
शिक्षा बोर्ड की सीनियर सैकंडरी और सैकंडरी परीक्षा के परिणाम के बाद प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी परिणाम से असंतुष्ट होकर संवीक्षा के लिए आवेदन करते हैं। संवीक्षा के तहत परीक्षकों द्वारा जांची उत्तर पुस्तिकाओं के अंकों की री-टोटलिंग की जाती है। इस प्रक्रिया के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त परीक्षकों (विषय विशेषज्ञ व्याख्याता) की पोल खुलकर सामने आ जाती है। कई विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं के अंकों में जोड़ की गलती की वजह से ही 50 अंक तक का खामियाजा भुगतना पड़ता है।
सालभर की मेहनत का मूल्यांकन महज पांच मिनट में

सालभर कड़ी मेहतन कर परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं महज 5 से 10 मिनट में ही जांच ली जाती है। कई उत्तरपुस्तिकाओं में महज जोड़ की गलती से ही विद्यार्थी का पूरा साल बर्बाद हो जाता है।
परीक्षा कार्य से डिबार के बावजूद नहीं सुधरे हालात
बोर्ड प्रशासन प्रतिवर्ष अनेक परीक्षकों को गलती करने पर परीक्षा कार्य से डिबार कर देता है, लेकिन परीक्षकों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होने की वजह से परीक्षक भी इसकी चिंता नहीं करते।
महज आवेदन करने वालों की री-टोटलिंग
उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा के लिए प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी आवेदन करते हैं। इनमें से 20 से 25 हजार विद्यार्थियों के अंकों में बढ़ोतरी हो जाती है। इनमें वे विद्यार्थी भी शामिल हैं जो प्रथम अथवा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हो चुके होते हैं, लेकिन उनको अपने प्राप्तांक कम लगते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर सभी उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा कराई जाए तो हालात कितने बदतर साबित होंगे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो