
राजस्थान दिवस पर पढ़ें राजस्थानी भाषा में साहित्यकार से खास बातचीत
अजमेर. राजस्थानी भाषा रा साहित्यकार सी.पी. देवल कह्यो कै राजस्थानी रे बिनां क्यां रो राजस्थान। राजस्थानी भाषा रा लेखक कन्हैया लाल सेठिया एक दोहा भी लिख्यो ‘खाली धड़ री कद हुआ चेहरे बिण पहचाण, राजस्थानी रे बिना क्यां रो राजस्थान...’। मान्यता रो जिम्मो ऐणा लोगां कै पास है जिणने राजस्थानी भाषा री जाणकारी भी नी है, भाषा रो ज्ञान नी है। सरकार पेली आठवीं अनूसूची रो मापदंड तय करै, या आठवीं अनुसूची नै खत्म करै।
आ बात साहित्यकार देवल राजस्थान दिवस रे माथै राजस्थान पत्रिका सूं खास बातचीत में कहीं। बां सूं बातचीत का खास अंश......सवाल: राजस्थानी मान्यता नै मान्यता न लेर कित्ता साल सूं आंदोलन चाल रियो है?
जवाब: असल में तो राजस्थानी आजादी सूं पैलां 1944 दिनाजपुर ( बंग्लादेश) में सम्मेलन हुयो। कोलकाता का सेठ रामचन्द्र चोखानी नै लोगों ने भेळा करिया। रामसिंह ठाकुर और राजस्थानी का लेखकां नै बुलाया और कयो क राजस्थनी पूरमपूर भाषा है, यो संदेश देणो हो।सवाल: शिक्षा नीति कांई कैवे, प्राइमरी शिक्षा में राजस्थान की कांई स्थिति है?
जवाब: लारलां दिनां बोत ही बोल्ड अग्रलेख राजस्थान पत्रिका का संपादक गुलाब कोठारी जी लिख्यो। बे कयो कि राजस्थानी नहीं है तो राजस्थान को विकास है ही नहीं। म्हें कोठारी की बात की ताहिद करूं। आ बात बरस 1947 में उठाणी चाइजे थी।
सवाल : आजादी कै समय राजस्थानी भाषा कै लिये कांई अड़चन बनीं।जवाब : बरस 1947 में स्थिति बदलगी। गांधी एक बात कही कि हिन्दी राजभाषा बनाणी चाइजे, ताकि आजादी नै आसानी सूं ले सकां पूरो देश साथै हो सके। पण उण टेम ही जयनारायाण व्यास और दूसरा लेखक कयो क राजस्थान में तो राजस्थानी ही जरूरी है। बे कयो कि जब बगत आई जद राजस्थानी नै मान्यता दे देस्यां, पण बो बगत कदई नीं आयो।
सवाल: राजस्थानी भाषा कै बिना राजस्थान दिवस रो कितरो है महत्व?
जवाब: कन्हैया सेठिया एक दोहो लिख्यो.. खाली धड़ री कद हुया चेहरे बिण पहचाण, राजस्थानी रे बिना क्यां रो राजस्थान। बरस 1956 में जितरा भी प्रांत बण्या बठै भाषा ही आधार हो। प्रांतां को आधार हो प्रांत की भाषा। पांच साल लाग्या राजस्थान नै एक होबा मांय। 30 मार्च 1956 में राजस्थान बणबा की प्रक्रिया पूरी हुई, आखिर में अजमेर शामिल हुयो।
सवाल: राजस्थान रो नाम कियां पड़्यो?
जवाब: राजस्थान रो मतलब राजाओं को स्थान नहीं है। उद्योतर सूरि लिख्यो मरूभाषा, याणी. रेगिस्थान री भाषा। पछै आयो मारवाड़ मरू को क्षेत्र। बाद में शबद आयो रज थान (राजस्थान) यानी रेत रा धोरां वाळो राज्य। मेरवाड़ा नाम बी अरावली पहाड़ी का नाम सूं मेरवाड़ा पड़ा। रजथान सूं रेत री धरती वाळो राजस्थान बण्यो। रजथाणी रे बिना राजस्थान की कल्पना न्हीं कर सकां।
सवाल : राजस्थान लोक सेवा आयोग नाम क्यूं राख्यो?जवाब: राजस्थान रो इणमें हिस्सो होणो चाइजो। राजस्थान का जो भी अफसर चुण्या जावै बांनै राजस्थानी भाषा की जानकाणी होणी चाइजे। डॉक्टरां नै भी राजस्थानी भाषा रो ज्ञान जरूरी है, कई इस्या शब्द है..चबको चालै, रीळ चाले ए शब्द की जाणकारी भी जरूरी है। जद डॉक्टर सही इलाज कर पाय।
सवाल : भाषा नै मान्यता रो कांई मापदंड है?जवाब : आठवीं अनूसूची रो मापदंड हटा देणो चाइजै। जिण राजस्थानी भाषा नै 8 करोड़ लोग बोले उणनै आठवीं अनुसूची में शामिल नी की अर 40 लाख लोग जिण भाषा नै बोले उण ने मान्यता दे दी।
सवाल: मान्यता कै लिए किता आयोग बण्या?
जवाब: राजस्थानी भाषा कै लिया चार आयोग बण्या, सब आयोग कयो क मातृभाषा ही शिक्षा रो माध्यम होणो चाइजे। 2011 का सेन्सस बता देई कि राजस्थानी बोलबा वाळा कितां लोग है।
सवाल: हिन्दी भाषा री वर्णमाला पर कांई सवाल उठा रिया हो थै?जवाब: हिन्दी री वर्णमाला मांय अ सूं अनार क्यूं पढ़ायो, द से दाड़म सिखाता। ई से ईख क्यूं सिखायो..ग से गन्ना सिखाता आज ईख रो रस घणां ही विधायक, सांसद भी नहीं जाणै पण गन्ना रो रस सब जाणै।
सवाल: राजस्थानी री मान्यता नहीं देबा रो कांई कारण बतायो ज्या रह्यो।
जवाब: जो राजस्थानी नी जाणे बे ही मान्यता रै निर्णय की बातां कर रिया है। कोई हाड़ौती, ढूंढाणा, मारवाड़ी आदि। राजस्थानी भाषा रो पूरो क्षेत्र है। जिणे राजस्थानी री खिलाफत करणी है, बे क्षेत्र की बातां कर रिया है। बारह कोस से कोरी बोली पलट री है, भाषा नहीं। जो भाषा नी जाणे ब्याने भाषा री मान्यता रो निर्णय नी करणो चाइजे। राजस्थानी ओकारांत भाषा हैं। सारी किया ओकारांत में खाणो, जाणो, देवणो, उठणो, बेठणो।
सवाल: राजस्थानी भाषा नै मान्यता लाय कांई उम्मीद है?
जवाब: राजनीति ऐड़ी चीज है, राजनैता री किणी री बात मांतै विश्वास नी करां। हाल ही एक पैलिड़ा मुख्यमंत्री हाल का मुख्यमंत्री ने पाती लिखी कि राजस्थानी भाषा नै मान्यता दी जावै, पण बांका समय में बै कांई करियो। 2008 में ध्यान आकर्षण प्रस्ताव लेर आठवीं अनुसूची में राजस्थानी ने शामिल करबा रो प्रस्ताव केन्द्र में भेज्यो, पण हाल ताईं कोई सुणवाई नी होई।सवाल: राजस्थानी भाषा नै मान्तया नी मिलबा को कांई असर पड़्यो?
जवाब : राजस्थान भाषा नै मान्यता नी देबां सूं बेराजगारी बढ़ गी। सब सूं ज्यादा बेरोजगार राजस्थान में है।.................................
(प्रस्तुति.. चन्द्र प्रकाश जोशी)
Published on:
30 Mar 2022 01:46 am
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