16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विद्युत उपभोक्ताओं को राहत, नहीं होगी 18 प्रतिशत जीएसटी की वसूली

-हाईकोर्ट ने स्वीकार की बिजली कम्पनियों की याचिका-राज्य में केवल अजमेर शहर में हुई थी वसूली -राजस्थान पत्रिका ने उठाया था मुद्दा-विधानसभा में भी हुई थी गंूज

3 min read
Google source verification
gst

gst

भूपेन्द्र सिंह.
अजमेर. राज्य के करोड़ों विद्युत उपभोक्ताओं को हाईकोर्ट ने राहत देते हुए उनसे विद्युत सेवाओं के बदले वसूले जाने वाले गुड्स एंव सर्विस टेक्स (जीएसटी) पर रोक लगा दी है। इससे अब उपभोक्ताओं को नॉन टैरिफ सर्विस के तहत लाइन शिफ्टिंग, नई लाइन डलवाने, नए कनेक्शन में लाइन डलवाने, नए कनेक्शन में फिक्स चार्ज व मीटर बॉक्स, मीटर टेस्टिंग, नए कनेक्शन में मीटर पर जीएसटी नहीं देना पड़ेगा। अब इनके डिमांड नोट 18 प्रतिशत जीएसटी के बिना जारी होंगे।

इस तरह मिली राहत
अजमेर तथा जयपुर विद्युत वितरण निगम ने बिजली सेवाओं पर जीएसटी वसूले जाने के मामले को उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने चुनौती दी थी। न्यायालय ने वित्त विभाग के 1 मार्च 2018 को विद्युत सेवाओं पर जीएसटी वसूली को लेकर जारी सर्कुलर को भी निरस्त कर दिया है।

साथ ही वित्त विभाग दिल्ली, सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम, कमिश्नर सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टेक्स जयपुर, कमिश्नर सेंटेस्ट्रल टेक्स डिपार्टमेंट जयपुर तथा राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरईआरसी) को पाबंद किया है कि उक्त सर्कुलर के अनुसार कोई मांग बिजली कम्पनियो से नहीं की जाए। जोधपुर विद्युत वितरण निगम ने उच्च न्यायायल जोधपुर में पहले ही यह लड़ाई जीत ली है। जोधपुर के आधार पर जयपुर पीठ ने भी फैसला सुनाया है।

यह कहा बिजली कम्पनियों ने
बिजली कम्पनियों का तर्क था कि वित्त विभाग ने 28 जून 2017 को सर्कुलर जारी कर विद्युत सेवाओं को जीएसटी से मुक्त रखा है। इसलिए 1 मार्च 2018 को जारी सर्कुलर निरस्त किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि विद्युत यह आवश्यक सेवाओं के अन्तर्गत आती है। इसमें विद्युत का उत्पादन तथा वितरण शामिल है। यह सर्कुलर सीजीएसटी एक्ट के प्रावधानों के विपरीत है।

इसलिए नहीं हो सकती वसूली

जीएसटी अधिनियम के नोटिफिकेशन संख्या 1/2017 दिनांक 28 जून 2017 के तहत विद्युत प्रसारण तथा वितरण गतिविधियां विद्युत वितरण निगमों के कर मुक्त हैं। ऐसी गतिविधियिों के बिना विद्युत वितरण संभव नहीं है। जबकि परिपत्र संख्या 34/8/2018 जीएसटी के पैरा संख्या 4 (1) के तहत कर योग्य माना गया है। इसके विरूद्ध बिजली कम्पनियों ने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने इस पर स्टे दे दिया। इसके बाद से ही बिजली उपभोक्ताओं से जीएसटी की वसूली पर रोक लगी हुई थी।
अजमेर में 4 करोड़ की जीएसटी वूसली
जहां पूरे राज्य में विद्युत उपभोक्ताओं से जीएसटी की वसूली नहीं हो रही थी वहीं अजमेर में अजमेर विद्युत वितरण निगम की फ्रेंचायजी कम्पनी टाटा पावर ने जीएसटी काउंसिल से अनुमति लेकर तथा स्वयं के मैनेजमेंट के निर्देशानुसार उपभोक्ताओं से नॉन टैरिफ सर्विस पर जीएससटी की वसूली शुरू कर दी। शहर में विद्युत उपभोक्ताओं से 4 करोड़ रूपए की जीएसटी वसूली जा चुकी है। जबकि राज्य में बीकानेर, भरतपुर तथा कोटा में बिजली व्यवस्था संभाल रहीं फ्रैंचायजी कम्पनियों ने जीएसटी की वसूली नहीं की।

राजस्थान पत्रिका बना जनता की आवाज

राजस्थान पत्रिका ने 14 फरवरी 2019 को ऊर्जा मंत्री के समक्ष केवल अजमेर मे ही विद्युत उपभोक्ताों से हो रही जीएसटी वसूली का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। इस संबंध में खबरें प्रकाशित की गई। इस पर ऊर्जा मंत्री ने एमडी को मामले की जांच के आदेश दिए। जांच के बाद अजमेर डिस्कॉम ने टाटा पावर को जीएसटी वसूली बंद करने के निर्देश भी दिए लेकिन इसकी पालना नहीं हुई। इसके बाद यह मामला विधानसभा में उठा तो टाटा पावर ने 27 जुलाई को जीएसटी की वसूली बंद करते हुए अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव किया।

यह आ रहा था अंतर
जहां डिस्कॉम नए कनेक्शन (सामान्य) पर 3900 रुपए ले रह था वहीं जीएसटी के साथ टाटा पावर से यह कनेक्शन 4939 रुपए में पड़ रहा था। मीटर जांच (सिंगल फेज) की डिस्कॉम की रेट 35 रुपए थी लेकिन जीएसटी के साथ 41 रुपए लिए गए। मीटर जांच (थ्री फेज) की डिस्कॉम की रेट 70 रुपए थी लेकिन जीएसटी के साथ 83 रुपए लिए गए। बाद में जीएसटी वसूली बंद से दोनो दरें समान हो गई। हालांकि टाटा पावर द्वारा जारी डिमांड नोट में लिखा जाता है कि यदि जीएसटी की वसूली न्यायालय के निर्णय अनुसार हुई तो उपभोक्ता को इसे चुकाना होगा।

टाटा पावर ने एडीए से अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में 33/11 केवी जीएसएस (ग्रिड सब स्टेशन) बनाने के लिए डिमांड नोट में 40 लाख रूपए जीएसटी के नाम पर लिए हैं। मांग तो 60 लाख रूपए के जीएसटी की थी लेकिन अंतिम किस्त तक रोक लगने से एडीए के 20 लाख रूपए बच गए थे ।

read more: प्रशासन शहरों के संग अभियान...कर्मचारियों की कमी से बढ़ सकती है परेशानीतहसीलदार,