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Retro Pic: ये है 19 वीं शताब्दी का फोटो, देखें सोनीजी की नसियां

अजमेर की स्थापना चौहान साम्राज्य के राजा अजयपाल ने की थी। इससे पहले पृथ्वीपुरा नाम का छोटा सा गांव था।

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soni temple ajmer

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अजमेर/रक्तिम तिवारी.

अजमेर सर्वपंथ समभाव के लिए विख्यात है। यहां विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। आगरा गेट-पृथ्वीराज मार्ग पर सोनीजी की नसियां दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों का प्रमुख आस्था केंद्र है। 10 अक्टूबर 1865 में इसका शिलान्यास हुआ। यह 1865 में बनकर तैयार हुआ था। इसे सिद्धकूट चैत्यालय अथवा लाल मंदिर भी कहा जाता है। इसमें 1895 में स्वर्णिम अयोध्या नगरी तैयार की गई।

अजमेर का इतिहास
अजमेर की स्थापना चौहान साम्राज्य के राजा अजयपाल ने की थी। इससे पहले पृथ्वीपुरा नाम का छोटा सा गांव था। यह गांव चौहान कालखंड से पहले था। अब इसका कोई अस्तिव नहीं है। शुरुआत में अजमेर सिर्फ परकोटे के भीतर सीमित था। अब इसकी सीमाओं का विस्तार तबीजी-दौराई, माकड़वाली, घूघरा-बड़ल्या तक पहुंच चुकी हैं।


आज से शुरू होगी प्राध्यापक (विद्यालय) प्रतियोगी परीक्षा

कोविड संक्रमितों के लिए पृथक रहेगी व्यवस्था
अजमेर. राजस्थान लोक सेवा आयोग प्राध्यापक (विद्यालय) (संस्कृत शिक्षा विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2020 की तैयारी में जुटा है। विषयवार 14 से 18 दिसंबर तक अजमेर और जयपुर मुख्यालय पर परीक्षा कराई जाएगी।

संयुक्त सचिव नीतू यादव ने बताया कि प्राध्यापक (विद्यालय) (संस्कृत शिक्षा विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2020 का आयोजन अजमेर और जयपुर मुख्यालय पर होगा। परीक्षा दो पारियों में होगी। कोविड-19 संक्रमित अभ्यर्थियों के लिए पृथक व्यवस्थाएं की गई हैं।

इनका रखना होगा ध्यान
अभ्यर्थियों को परीक्षा केन्द्र पर एक फोटो एवं मूल फोटो पहचान-पत्र साथ लाना जरूरी होगी। साथ ही परीक्षा समय से एक घंटा पूर्व उपस्थित होना होगा। कोविड-19 के तहत मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य गाइडलाइंस पूरी करनी होगी अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रत्येक पेपर के लिए अलग-अलग प्रवेश पत्र लाने होंगे।

यूं होगी परीक्षा (आयोग के अनुसार)
14 दिसंबर-सामान्य ज्ञान: सुबह 10 से 11.30, दोपहर 2 से शाम 5 बजे-राजनीति विज्ञान
15 दिसंबर-सुबह 9 से 12 बजे-गणित, दोपहर 2 से शाम 5 बजे-अर्थशास्त्र
16 दिसंबर-सुबह 9 से 12 बजे-धर्मशास्त्र, दोपहर 2 से शाम 5 बजे-ज्योतिष
17 दिसंबर-सुबह 9 से 12 बजे-यजुर्वेद, दोपहर 2 से शाम 5 बजे-सामान्य दर्शन
18 दिसंबर-सुबह 9 से 12 बजे-जैन दर्शन, दोपहर 2 से शाम 5 बजे-न्याय दर्शन

बर्फीली हवा, गलन और कड़ाके की ठंडक

अजमेर. जिले में मार्गशीर्ष में कड़ाके की सर्दी का असर दिख रहा है। कश्मीर से माउन्ट आबू, चूरू और अजमेर तक रविवार को हवा के बर्फीले अंदाज कायम रहे। आसमान को बादलों की टुकडिय़ां घेरे रहीं। इससे लोगों को गुनगुनी धूप कम नसीब हुई। न्यूनतम तापमान नीचे लुढ़क कर 10 डिग्री पर पहुंच गया। पारे में पिछले चार दिन में पारे में 6 डिग्री की गिरावट हो चुकी है।
अलसुबह से मौसम सर्द बना रहा। शीतलहर के चलते लोग गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए। ठंड के चलते लोगों को घरों में कैद रहना मुनासिब समझा। नलों का पानी भी बर्फीला महसूस हुआ। बादल मंडराने से धूप नहीं निकली। दोपहर बाद बादल छितराए तो सूरज नजर आया। लेकिन गलन ने जबरदस्त परेशान किया। शाम होते ही ठंड ने फिर पैर पसार लिए। सड़कों के किनारे जगह-जगह लोग अलाव के सहारे बैठे दिखे। अधिकतम तापमान 21.2 डिग्री दर्ज हुआ।

ये है सर्दी बढऩे की वजह
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी हिमालय के बर्फीले इलाकों से सर्द हवा के कारण तापमान में गिरावट हुई है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अन्य पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी हुई है। कई इलाकों में तापमान में गिरावट भी हो सकती है। मैदानी और पहाड़ी इलाकों में तेज सर्दी से पाला पडऩे के भी आसार हैं।

1 जनवरी था सबसे सर्द
साल 2020 की शुरुआत भी कड़ाके की सर्दी से हुई थी। इस साल 1 जनवरी को पारा नीचे लुढ़कता हुआ 3.4 डिग्री पर पहुंच गया था। यह इस साल का सबसे सर्द दिन था। इसके बाद फरवरी-मार्च तक न्यूनतम पारा 7.0 से 10.2 डिग्री के आसपास बना रहा था। इसके बाद बीते नवंबर में पारा 8.0 डिग्री तक पहुंचा था।