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rpsc: फॉर्म में जल्द करें संशोधन, फिर नहीं मिलेगा मौका

संशोधन परीक्षा के लिए जारी विज्ञापन में उल्लेखित पात्रता की शर्तों के अनुरूप होंगे।

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अजमेर.

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वरिष्ठ प्रदर्शक संवीक्षा परीक्षा-2020 में शामिल अभ्यर्थियों को ऑनलाइन संशोधन का विकल्प दिया है। अभ्यर्थी बुधवार तक संशोधन कर सकेंगे।

सचिव शुभम चौधरी ने बताया कि वरिष्ठ प्रदर्शक संवीक्षा परीक्षा-2020 का आयोजन 13 से 17 सितंबर तक जयपुर और अजमेर में हुआ था। अभ्यर्थियों को 7 अक्टूबर तक आवेदन में ऑनलाइन संशोधन का विकल्प दिया गया है।

अभ्यर्थी नाम, परीक्षा केन्द्र, फोटो, हस्ताक्षर एवं विषय के अतिरिक्त सभी प्रकार के संशोधन ऑनलाइन कर सकेंगे। इसके लिए ई-मित्र, ऑनलाइन बैंकिंग से 300 रुपए शुल्क देना होगा। ऑफ लाइन संशोधन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। संशोधन परीक्षा के लिए जारी विज्ञापन में उल्लेखित पात्रता की शर्तों के अनुरूप होंगे।

11 कॉलेज में चाहिए प्रिंसिपल, मिले सिर्फ 9 फॉर्म

रक्तिम तिवारी अजमेर. राज्य के 11 इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद की नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है। तकनीकी शिक्षा विभाग को मात्र 9 पात्र आवेदन मिले हैं। इनके साक्षात्कार कब होंगे, फिलहाल अता-पता नहीं है।

तकनीकी शिक्षा विभाग ने फरवरी में अजमेर के दो इंजीनियरिंग कॉलेज सहित बीकानेर , झालावाड़, भरतपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, धौलपुर, बाडमेर, करौली और बारां इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद के लिए आवेदन मांगे थे। यह प्रक्रिया पूरी हुए सात महीने बीत चुके हैं।

प्रोफेसर की होनी है नियुक्ति
इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर या इसके समकक्ष पद के शिक्षकों को प्राचार्य बनाया जाएगा। 11 कॉलेज के लिए सिर्फ 9 पात्र आवेदन मिले हैं। प्राचार्य पद के लिए आए आवेदनों की स्क्रूटनी हो चुकी है। मालूम हो कि प्रोफेसर पद के वेतनमान और पे-ग्रेड इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य पद से कहीं ज्यादा हैं। 2008-09 के बाद से प्रोफेसर ने इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचार्य बनने में रुचि नहीं दिखाई है।

यूं फेल हो चुकी पूर्व की कोशिश
विभाग ने 3 फरवरी 2018 को भी 11 इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्यों के लिए आवेदन मांगे थे। अव्वल तो फार्म की स्क्रूटनी रीडर स्तर के शिक्षकों से कराई गई। दूसरी तरफ प्रोफेसर्स ने आवेदन ही कम किए। कुछ आवेदक हाईकोर्ट चले गए थे। कानूनी पेंच के चलते मामला आगे नहीं बढ़ पाया।

यह है प्राचार्य पद की योग्यता
-केंद्र अथवा राज्य स्तरीय संस्थान में दस साल बतौर प्रोफेसर सेवाएं देना जरूरी
-राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च पेपर प्रकाशन
-विभाग अथवा संस्थान में कार्य करने की प्रशासनिक योग्यता
-एआईसीटीई के नियमानुसार पीएचडी