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रक्तिम तिवारी/अजमेर।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की लाइब्रेरी जल्द बदली नजर आएगी। यहां ना केवल पुस्तकों की तादाद बढ़ेगी, बल्कि इसे हाइटेक भी बनाया जाएगा। आयोग सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों सहित आगंतुकों को भी किताबें पढऩे का मौका मिलेगा।
आयोग के जयपुर रोड स्थित कार्यालय में पुस्तकालय भी बनाया गया है। यहां नियमित पत्र-पत्रिकाएं मंगवनाने के अलावा कुछेक विषयों और लेखकों की पुस्तकें ही रखी गई हैं। मौजूदा वक्त लाइब्रेरी का स्वरूप वैसा नहीं है, जिस तरह राज्य सचिवालय, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षिक-सरकारी महकमों में होता है। ऐसा तब है जबकि आयोग प्रदेश की महत्वपूर्ण संस्था है। यहां भर्ती परीक्षाओं कराने के अलावा विशेषज्ञों की आवाजाही होती है। संवीक्षा परीक्षाओं के पेपर और पाठ्यक्रम निर्माण जैसे अहम काम भी होते हैं।
बदलेगा पुस्तकालय का स्वरूप
पूर्व में आईएएस अधिकारी और शिक्षक रहे अध्यक्ष दीपक उप्रेती को पढऩे-लिखने का काफी शौक है। उन्होंने पदभार संभालने के बाद सदस्यों और अधिकारियों से सबसे पहले आयोग के पुस्तकालय के बारे में पूछा। जब उन्हें पुस्तकालय के बहुत ज्यादा स्तरीय नहीं होने की जानकारी मिली, तो वे भी हैरान रह गए। उप्रेती ने पुस्तकालय को तत्काल बेहतरीन बनाने पर जोर दिया।
मंगवाएंगे विविध विषयों की किताबें
आयोग के पुस्तकालय में नियमित पत्र-पत्रिकाओं के अलावा विविध विषयों की किताबें मंगवाई जाएंगी। इनमें राजस्थान और अन्य प्रांतों के साहित्य, कला-संस्कृति, इतिहास, नाट्य विधा, परम्पराओं, सम-सामायिकी, वैश्विक गतिविधियों से जुड़ी किताबें, पुराने और नए नामचीन लेखकों की पुस्तकें शामिल होंगी। इसके अलावा कला, वाणिज्य और विज्ञान सहित अन्य संकायों से जुड़ी विविध पुस्तकें भी मंगवाई जाएंगी। ताकि यहां सदस्यों, विशेषज्ञों, अधिकारियों और कर्मचारियों एवं आगंतुकों को पढऩे के लिए वृहद सामग्री मिल सके। इसके अलावा देश के अन्य प्रांतों के लोक सेवा आयोग के पुस्तकालयों का अवलोकन भी किया जाएगा।
एशिया का सबसे बड़ा लाइब्रेरी हॉल
अध्यक्ष उप्रेती ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी पूरी दुनिया में विख्यात है। इस लाइब्रेरी का हॉल अपने आकार में एशिया में सबसे बड़ा है। यहां करीब 7 लाख से ज्यादा किताबें, 10 हजार से ज्यादा शोध ग्रंथ, 2 हजार से ज्यादा पांडुलिपि और हस्तलिखित ग्रंथ हैं। 20 हजार से ज्यादा ऑनलाइन जर्नल हैं। पूर्व में विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्षों के पास आने वाली पुस्तकों की नमूने की प्रति (स्पेसिमेन) भी सीधे पुस्तकालय में जमा होती थी।
अजमेर की इन संस्थाओं में स्तरीय लाइब्रेरी
-महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (1987 से)
-सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (1836 से)
-दयानंद कॉलेज और सोफिया कॉलेज (करीब 70 साल से)
Published on:
30 Jul 2018 06:33 am
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