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किशनगढ़/रूपनगढ़। सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य के लिए गुणकारी ग्वारपाठा अब किसानों की आय का अतिरिक्त जरिया बन गया है। किसान ग्वारपाठे की फलियों को तोड़कर बाजार में बेचकर अतिरिक्त आय का स्रोत बना रहे हैं। रूपनगढ़ क्षेत्र में खेत की मेड़ तथा अन्य उच्च स्थान पर ग्वारपाठा उगाया जाता है।
इसे ना तो अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है ना ही किसी जानवर के नुकसान का डर होता है। सर्दी के मौसम में फलियां तथा ग्वारपाठा दोनों से ही किसानों की आमदनी में इजाफा हो रहा है। इस बार बारिश की अधिकता से उपज में भी बढोतरी हुई है। इनकी फलियों की दर इन दिनों 80-90 रुपए किलो बताई जा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्वारपाठे की फलियों की सब्जी तथा अचार दोनों बनाए जाते हैं। अचार लोगों के घरों में पूरे साल चलता है, वहीं इसकी सब्जी भी दो-चार दिन तक खराब नहीं होती। ये स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। इसी के मद्देनजर लोग ग्वारपाठे को फलियों को लाते हैं और अचार बनाते हैं। ग्वारपाठे की गिरी के लड्डू बनाकर भी सर्दी में लोग काम में लेते हैं, ताकि पूरे साल रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा जोड़ों के दर्द आदि में आराम मिले।
ग्वारपाठे की फलियों को तोड़कर लाया जाता है तथा उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर इन पर हल्दी लगाकर एक-दो दिन के लिए रखा जाता है। इसके बाद तेल को गर्म कर व उसे पुन: ठंडा कर उसमें खड़े मसाले डालकर इनको खाने के काम में लिया जाता है। इसी प्रकार लड्डू बनाने के लिए भी ग्वारपाठे के तने का उपयोग होता है।
तने के दोनों ओर से पत्तों को हटाकर अंदर से इसकी गिरी निकाली जाती है। साथ ही इसे आटे में गूंथकर इनकी बाटी बनाते हैं। तैयार बाटियों को देसी घी में तलकर चूरमा बनाते हैं। इसके बाद इसमें घी, शक्कर या गुड़ तथा सूखे मेवे डालकर इस सामग्री के लड्डू तैयार किए जाते हैं। यह खाने में बहुत गुणकारी व स्वास्थ्यवर्धक माने जाते हैं।
आयुर्वेद में इसे कुमारी व आम बोलचाल में ग्वारपाठा या घृतकुमारी कहते हैं। ये बहुत गुणकारी है। ये अर्थराइटिस, मधुमेह, पाचन विकार, शोध नाशक, यकृत-प्लीहा सहित कई बीमारियों में रामबाण है। ये सर्दी के लिए शानदार रसायन तथा रोग प्रतिरोधक है। स्वास्थ्य के लिए इसके पत्ते और फलियां उपयोगी हैं।
Updated on:
09 Dec 2025 05:56 pm
Published on:
09 Dec 2025 05:48 pm
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