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अजमेर.
मुक्ति पद की प्राप्ति करने के लिए परिगृह का त्याग करना जरूरी है। यह बात आचार्य वसुनंदी ने धर्म सभा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भावना जीवन की महत्वपूर्ण वस्तु है। जीवन यात्रा में होने वाली सभी क्रियाएं जमीन की तरह होती है।
जमीन पर रहने वाला व्यक्ति सदैव उच्च रहता है। जिसकी जमीन उपजाऊ होती है वही अच्छी फसल प्राप्त करता है। इसी तरह जीवन में अंतरंग और बहिरंग यात्रा होती है।
अंतरंग यात्रा आत्मा को परमात्मा से मिलाने वाली होती है । बहिरंग यात्रा हमें संसार की ओर ले जाती है। प्रेम को बरकरार रखना है तो जीवन में देना सीखना चाहिए। दुख का कारण असीम इच्छाएं होती हैं। इच्छा पूर्ति के लिए व्यक्ति सब कुछ करने को तैयार रहता है।
मुक्ति पद की प्राप्ति परिगृह का त्याग करने पर भी संभव है। जो अपेक्षा, आशा और इच्छा रहित होते हैं वह सदैव खुश रहते हैं। इससे पूर्व विनीत कुमार जैन ने मंगलाचरण किया।
Published on:
11 Nov 2018 06:18 pm
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