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नौ सेना के ये रियर एडमिरल 24 घंटे पहनते ड्रेस, हमेशा रहते duty पर जाने को तैयार

locationअजमेरPublished: Nov 18, 2016 09:21:00 am

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तैयार नौ सेना के रियर एडमिरल ने देखा अपना डेमोंस्ट्रेशन स्कूल। छात्र-छात्राओं को दी अनुशासन, हरियाली फैलाने और देश की सेवा करने की सीख।

rear admiral alok bhanagar

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नौ सेना के रियर एडमिरल आलोक भटनागर जब डेमोंस्ट्रेशन स्कूल पहुंचे तो उनके दिलोदिमाग में 35 साल पुरानी यादें तरोताजा हो गई। 
सुभाष गार्डन के वो हरे-भरे पेड़, हमेशा टाई लगाकर स्कूल गेट पर खड़े रहकर विद्यार्थियों की जांच और नाग पहाड़ पर ट्रेकिंग जैसी यादें उनके मानस पटल पर तैर गई। इस मौके पर भटनागर ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत की। 
साथ ही स्कूली बच्चों को अनुशासन, कड़ी मेहनत और लक्ष्य निर्धारण की सीख भी दी। भटनागर ने दयानंद कॉलेज, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में एनसीसी कैडेट्स से मुलाकात की। बाद में बजरंगगढ़ स्थित 2 राज एनसीसी नेवल यूनिट के कार्यालय का निरीक्षण किया।
… और बनती गई राह

नेवी में भर्ती के सवाल पर भटनागर ने कहा कि उनके पिता क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में शिक्षक थे। उनके साथ वे 8वीं कक्षा में पढऩे के दौरान पोर्ट ब्लेयर गए। वहां नौसेना के जहाज और नौसैनिकों की यूनिफार्म देखते ही उन्होंने भारतीय नौसेना में जाने की ठान ली। नवीं कक्षा में उन्होंने एनसीसी नेवल ज्वॉइन की। उसके बाद नौ सेना में जाने की राह बनती चली गई।
याद आई सुभाष उद्यान की हरियाली

भटनागर को स्कूल के दिनों के सुभाष उद्यान की हरियाली याद आई। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि बरसों पहले यह स्कूल हरियाली के लिए पूरे शहर में मशहूर था। सुभाष उद्यान में घने पेड़, फूलों के पौधे थे। लेकिन अब यह दिखाई नहीं देते। आपको स्कूल में खूब पेड़-पौधे लगाकर हरियाली फैलाने के प्रयास करने चाहिए।
व्यक्तित्व से बनती पहचान

बातचीत के दौरान भटनागर ने कहा कि हमेशा व्यक्तित्व से ही पहचान बनती है। उन्होंने एक रोचक किस्सा बताया कि स्कूल का प्रेसिडेंट होने के कारण वे हमेशा पॉलिश किए जूते, ड्रेस और टाई पहनकर रहते थे। मुख्य गेट पर खड़े होकर वे टाई और ढंग से ड्रेस नहीं पहनने वाले छात्र-छात्राओं को अलग खड़ा कर देते थे। यह आदत नेवी में नौकरी के दौरान भी जारी है। वे अधिकारियों और जवानों को इसके लिए हमेशा प्रेरित करते हैं।
नाग पहाड़ की ट्रेकिंग और पिकनिक

भटनागर ने कहा कि पुष्कर घाटी और नाग पहाड़ पर उन्होंने शिक्षकों और सहपाठियों के साथ बहुत ट्रेकिंग की। इससे उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा मिली। फॉयसागर और बीर तालाब पर पिकनिक भी बहुत याद आती है। तब के प्रधानाध्यापक इंद्रजीत धवन, नौ सेना में उनके साथी कप्तान अशोक तिवारी और अन्य दोस्तों से मुलाकात कर बहुत खुशी हुई। 
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