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पुष्कर में पल्लवित हो रही वेदपाठियों की पौध, राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी की थी स्थापना

-ब्रह्म सावित्री वेद विद्या मंदिर में सभी को मुफ्त गुरुकुल शिक्षा -वेदों के साथ ही गणित-विज्ञान की पढ़ाई, दानदाता उठा रहे सारा खर्च

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अजमेर

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Amit Kakra

Feb 17, 2023

पुष्कर में पल्लवित हो रही वेदपाठियों की पौध, राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी की थी स्थापना

पुष्कर में पल्लवित हो रही वेदपाठियों की पौध, राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी की थी स्थापना

अमित काकड़ा/अजमेर. स्वामी विवेकानंद के वेदों की ओर लौटने के शाश्वत और कालजयी संदेश से भारत की वेद संस्कृति को पुनरुज्जीवित, पल्लवित और पुष्ट करने के प्रेरक आह्वान को महज संदेश और आदर्श वाक्य तक ही सीमित नहीं रख पुष्कर का एक विद्यालय व्यवहार में साकार कर रहा है। बड़ों की उपेक्षा से बच्चों से दूर होते वैदिक संस्कार को पोषित करने व विस्मृत होती समृद्ध विरासत को सहेजने का बीड़ा उठाया है पुष्कर के ब्रह्म सावित्री वेद विद्या मंदिर ने। यह स्कूल कई मायनों में खास है। यहां वेद व्याकरण, ज्योतिष, सामाजिक विज्ञान, गणित, अंग्रेजी के साथ कम्प्यूटर भी पढ़ाया जा रहा है। वो भी पूर्णत: नि:शुल्क। यहां वार्षिकोत्सव भी शिवरात्रि को ही मनाया जाता है। पुष्कर की माहेश्वरी धर्मशाला में रामजन्म भूमि के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी (किशोरजी व्यास) ने करीब 23 वर्ष पहले 10 बालकों व एक शिक्षक महेश नंदी के साथ वेद विद्यालय की शुरुआत की थी। पुखराज कालानी ने समाज के लोगों से बात कर माहेश्वरी भवन में वेद विद्यालय के संचालन के लिए स्थान उपलब्ध कराया। बाद में वर्ष 2008 में विद्यालय के लिए सावित्री मंदिर की तलहटी में जमीन आवंटित की जाकर विद्यालय और महामृत्युंजय महादेव मंदिर का निर्माण किया गया ।

अनुशासन का रखते हैं ध्यान

विद्यालय में अनुशासन सर्वोपरि है। ब्र्हममुहूर्त में 4 बजे आवासी विद्यार्थियों की दिनचर्या प्रारंभ हो जाती है। नित्यकर्म से निवृति के बाद व्यायाम करवाया जाता है। इसके बाद वेद, ज्योतिष, व्याकरण, विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर पढ़ाया जाता है। विद्यार्थी लगातार मंत्रों का अभ्यास करते हैं। गुरुजन के निर्देशन में उनके उच्चारण को सुधारा जाकर मंत्रों पर अनुसंधान भी कराया जाता है। विद्यार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। वर्ष में करीब 1 करो़ड़ रुपए खर्च होते हैं।

रूद्राभिषेक से वार्षिकोत्सव की शुरुआत

विदायलय का वार्षिकोत्सव 16 फरवरी से प्रारंभ होगी। उत्सव की शुरूआत सहस्त्रधारा रूद्राभिषेक से होगी, रूद्र महायज्ञ भी होगा। शिवरात्रि पर महायज्ञ की पूणाहुति होगी। विद्यार्थियों के लिए श्लोक प्रतियोगिता होती है। संस्कृत में नाटक का भी मंचन करते हैं।

वेद अध्यापन, कथावाचक

विद्यालय में प्रवेश के बाद विद्यार्थी करीब 8 से 10 वर्ष में शास्त्री व आचार्य की डिग्री प्राप्त करते हैं। इसमें वे शिक्षण संस्थाओं में अध्यापन के साथ कथावाचक का कार्य करते हैं। उन्हें महर्षि सांदीपनि वेद विद्यालय प्रतिष्ठान उज्जैन व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की डिग्री दी जाती हैं।

-विद्यालय से वर्तमान में शास्त्री के लिए अध्ययन कर रहा हूं। वेदों में भी करियर अच्छा है। यह रोजगारपरक शिक्षा है।चंद्रमणी गौतम

-मेरा वेद शिक्षा के प्रति शुरू से ही रुझान रहा। इसलिए यहां अध्ययन कर रहा हूं। इसमें नौकरी के साथ-साथ स्वरोजगार भी है। सम्मान बहुत अधिक मिलता है।

योगेश पांडे,

राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी ने विद्यालय की स्थापना की थी। वेदपाठी बालकों को वेद के साथ गणित, कम्प्यूटर भी पढ़ाए जाते हैं। मंत्रों में शक्ति होती है। मंत्रों पर अनुसंधान भी किया जाता है। शिक्षा निशुल्क है। वार्षिकोत्सव शिवरात्रि को ही मनाया जाता है।

ब्रजेश तिवाड़ी, प्रधानाध्यापक