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अजमेर में Science Park…..भाई साहब कहीं दिखे तो बताना जरूर

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science park in ajmer

science park in ajmer

अजमेर.

झलकारी बाई स्मारक के निकट प्रस्तावित साइंस पार्क में एक ईंट भी नहीं लग पाई है। शिलान्यास के बाद सरकार और प्रशासन निर्माण कार्य को भूल चुके हैं। ऐसे में पार्क का तयशुदा अवधि में बनना मुश्किल है।

विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों और आमजन के लिए शहर में झलकारी बाई स्मारक पंचशील में साइंस पार्क बनाया जाना है। पूर्व उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने बीते साल 9 सितंबर को इसका शिलान्यास किया था। साइंस पार्क के निर्माण में 15 करोड़ 20 लाख रुपए की लागत आनी है। यह पार्क करीब 23 महीने में बन कर तैयार होना है। इसका क्षेत्रफल 20 हजार 234 वर्ग मीटर रखा गया है।

कब शुरू होगा काम...
साइंस पार्क का कार्य राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद की देखरेख में होना है। इसका आधा खर्च स्मार्ट सिटी योजना के तहत वहन किया जाना है। पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन साइंस पार्क का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है। इसकी प्रस्तावित निर्माण अवधि 23 माह है। इसे सही मानें तो अब 18 महीने ही बचे हैं। पार्क का कामकाज शुरू हो जाए तब भी यह तयशुदा अवधि में नहीं बन पाएगा।

यूं मिलेगा पार्क से फायदा

साइंस पार्क में आमजन को विज्ञान के रहस्यों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। यहां तारामंडल, आकाशगंगा और सनशाइन गैलेरी के बारे में ऑडियो-वीडियो से जानकारी दी जाएगी। शोधार्थी, विद्यार्थी और शिक्षकों को विज्ञान संकाय के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी।

...और यहां ये हाल
आमजन और विद्यार्थियों को विज्ञान, ऊर्जा संरक्षण, सौर और अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत, यांत्रिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग से रूबरू कराने के लिए राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज ने बड़ल्या स्थित परिसर में एनर्जी पार्क बनाने की योजना बनाई थी। करीब तीन हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में पवन चक्की, सौर ऊर्जा पैनल, स्वचलित सिग्नल प्रणाली, रोजमर्रा काम आने वाली मशीन लगाया जाना तय हुआ। लेकिन एनर्जी पार्क कागजों में ही कैद है।राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज में 15 साल पहले एनर्जी पार्क बनाने की योजनान्तर्गत सौर ऊर्जा प्लान्ट लगाए गए। इसके तहत सौर ऊर्जा पैनल प्लेट्स और अन्य उपकरण शामिल किए गए। सुरक्षा में लापरवाही बरतने से चोर पैनल और प्लेट्स चुराकर ले गए। इसके बाद से सरकार और कॉलेज ने दोबारा पार्क विकसित करना मुनासिब नहीं समझा है।