
smart city
भूपेन्द्र सिंह.
अजमेर. नियम कायदे ताक पर रखकर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर में करवाए जा रहे करोड़ों रूपए के घटिया निर्माण कार्यो की जांच के लिए भले ही केन्द्र सरकार ने आदेश जारी कर रखे हैं लेकिन स्मार्ट सिटी के अभियंता बेखौफ हो कर लीपापोती में जुटे हुए है। इसका नतीजा है कि शहर में चल रहे करीब 400 करोड़ रूपए के 6 प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता दांव पर है। अभियंता जहां बजरी के नाम पर प्रोजेक्टो मे मिट्टी लगा रहे हैं तो वहीं अनअपू्रव्ड घटिया व जंग लगा सरिया खपाने में जुटे हुए है। ऐसे में इन भवनों की नींव व छत तथा दीवारें कितनी मजबूत बनेंगी यह अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। करोड़ों रूपए के प्रोजेक्टों की साइट पर ना तो मैटेरियल क्वालिटी टेस्टिंग लैबोरेटरी है और न ही पीडब्ल्यूडी की लैब में ही मैटेरियल टेस्ट करवाया जा रहा है।
एलीवेटेड रोड
एलीवेटेड रोड निर्माण जहां कछुआ चाल से चल रहा है वहीं इसमें गुणवत्ता भी नदारद है। जंग लगे सरिए लगाए जा रहें है। भैंसा कॉम्पलेक्स के बाहर सड़क पर जंग लगे सरिए देखे जा सकते है। ब्रिज निर्माण में पुरानी तकनीक अपनाते हुए कंकरीट के बजाय लोहे के स्पान लगाए जा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट 250 करोड़ रूपए का है। इसका निर्माण 8 मई 2020 को पूरा होना था लेकिन बाद में इसकी समय सीमा 30 जून 2021 तक बढ़ा दी गई। वर्तमान में सितम्बर चल रहा है एलीवेटेड रोड निर्माण कब पूरा होगा कहा नही जा सकता।
सूचना केन्द, दूसरा प्रोजेक्ट भी खस्ताहाल
सूचना केन्द्र में 4.09 करोड़ रूपए खर्च कर बनाई जा रही आर्ट गैलरी व इनक्यूबेशन सेटर निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में भी जंग लगा अनअप्रूव्ड सैकड़ों टन सरिया खपाया जा रहा है। जबकि नींव में भूमिगत पानी का रिसाव इनता है कि इसके लिए दो कुंड,नालियां बनाकर एकत्रित पानी को निकालने के लिए 24 घंटे पानी की मोटर चलानी पड़ रही है। अब नींव में जब पहले से ही जंग लगे सरिए लगाए जा जाएंगे तो उनकी मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है। सूचना केन्द्र में करीब 1 करोड़ 30 लाख रूपए खर्च कर बनाया गया ओपन एयर थिएटर जहां पहले ही बदहाल है। निर्माण के बाद ही छतों, दीवारों में दरारें आ गई। दीवारे व सीढिय़ों पर पानी जमा है।
पटेल मैदान, आजाद पार्क, मेडिसिन ब्लॉक, पिडियाट्रिक्स ब्लॉक पहले ही बदहाल
26 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे जेएलएन अस्पताल व पिडियाट्रिक्स ब्लॉक व पार्किग, 36.22 करोड़ से बनाई जा रहे अस्पताल के मेडिसिन ब्लॉक, 43.17 करोड़ से बनाए जा रहे पटेल व इंडोर स्टेडियम कॉम्पलेक्स के निर्माण में अन अपू्रव्ड व जंग लगा घटिया सरिया,क्रेशर डस्ट खपाई गई है। ऐसे में इनकी गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इधर 'साहबÓ का पूरा 'ध्यानÓ
जहां स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट्स पर जंग लगे और अनअपू्रव्ड कम्पनियों के सरिए खपाए जा रहे हैं वहीं कलक्ट्रेट में 20 करोड़ रूपए में बनाए जा रहे कलक्ट्रेट भवन पर अभियंता पूरा ध्यान दे रहे हैं। यहां अप्रूव्ड कम्पनी का सरिया लगाया जा रहा है।
चांदी कूट रहे हैं ठेकेदार और अभियंता
घटिया व अनअप्रूव्ड सरिया लगाने से ठेकेदारों को करोड़ों का फायदा हो रहा है। स्मार्ट सिटी के अभियंता भी चांदी कूट रहे हैं। क्योंकि प्रतिष्ठिति कम्पनी का सरिया ओरजिनल तथा तौल व लम्बाई में पूरा होता है। जबकि अनअप्रूड कम्पनी के सरिया रिसाइकल आयरन से बनता है। इसमें कार्बन की मात्रा अधिक होती है। यह तौल व लम्बाई में भी कम होता है इसलिए यह सस्ता पड़ता है। अभियंता व ठेकेदार ऐसे सरिए लगाने का प्राथमिकता देते हैं भले ही प्रोजेक्ट की गुणवत्ता से समझौता किया जाए।
इनका कहना है
अप्रूव्ड नाम की कोई चीज नहीं है। आज की डेट में कोई भी सरिया लगा सकते है। बारिश के मौसम में जंग लग जाता है।
अविनाश शर्मा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, स्मार्ट सिटी परियोजना, अजमेर
Published on:
10 Sept 2021 10:10 pm
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