
लगवाया सोलर सिस्टम
अजमेर. शैक्षणिक और धार्मिक नगरी अजमेर के तिलोनिया में स्थित सोलर प्रशिक्षण केन्द्र जहां देश-दुनिया में पहचान बना रहा है। वहीं विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में लगा सोलर सिस्टम कबाड़ में तब्दील हो गया है। यह सोलर प्लांट पिछले कुछ समय तक दरगाह में स्थित महफिल खाने की छत पर लगा था लेकिन आज दरगाह कमेटी की ओर से संचालित ख्वाजा मॉडल स्कूल की छत पर पड़ा जंग खा रहा है। खास बात यह है कि प्लांट खराब हुए सालों हो गए लेकिन भविष्य में दरगाह को सौर ऊर्जा से रोशन करने के लिए कोई योजना तक नहीं बनाई गई।
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में वर्ष 2010 में पूर्व केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 55 लाख रुपए की लागत से सोलर सिस्टम लगवाया था। इस सिस्टम ने हालांकि कुछ समय ही कार्य किया। बाद में इसकी 28 बैट्रियां खराब हो गई। इन्हें सही करवाने में आने वाला लाखों रुपए का खर्चा उठाने के लिए दरगाह कमेटी तैयार नहीं है। कमेटी की मानें तो बैट्रियां ठीक करवाने में करीब 21 लाख रुपए खर्च होंगे। ऐसे में सोलर सिस्टम चालू करवाने से भी किसी तरह का फायदा नहीं है।
यह बताया नुकसान
दरगाह कमेटी के अनुसार दरगाह में लगाया गया सोलर सिस्टम 15 किलोवाट क्षमता का ही था। जबकि उससे चार गुना ज्यादा करीब 55 किलोवाट की यहां जरूरत है। कमेटी का यह भी कहना है कि सोलर सिस्टम के मेंटीनेंस पर जो खर्चा आ रहा है वह विद्युत निगम की दर से 1 से 1.50 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा बैठ रहा है। कमेटी ने जब खराब बैट्रियों को चालू करवाने के लिए मैकेनिक से बात की तो उसने 75 हजार रुपए प्रति बैट्री का खर्चा बताया। ऐसे में सिस्टम काम का नहीं रहा।
तिलोनिया की यह है खासियत
किशनगढ़ के पास स्थित तिलोनिया में संचालित बेयरफुट कॉलेज में देश के विभिन्न प्रांतों और दुनिया के 92 देशों की 1300 महिलाएं सौर उपकरण निर्माण का प्रशिक्षण ले चुकी हैं। आज वे अपने देशों को सौर ऊर्जा से रोशन कर रही हैं।
इनका कहना है
दरगाह में लगाया गया सोलर सिस्टम मात्र एक साल ही चल पाया था और क्षमता भी काफी कम थी। इस पर खर्चा करने की बजाय अब संबंधित मंत्रालय से मांग के अनुरूप क्षमता वाला और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का सोलर प्लांट लगवाएंगे।
-अमीन पठान, सदर दरगाह कमेटी
Published on:
24 Jun 2019 06:03 am
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