valentines day special : राजस्थान के इस शहर में पृथ्वीराज संयोगिता व ढोला मारू बने थे इक दूजे के वेलेंटाइन, पढ़ें प्यार के इस शहर की दास्तां
पायल से निकला एक छोटा सा घुंघरू भी इनकी बेपनाह मोहब्बत का साक्षी है।

पायल का घुंघरू से बना घूघरा गांव
चंदरवदायी रचित पृथ्वीराज रासो और सुरजन चरित महाकाव्य की मानें तो कन्नौज के राजा जयचंद ने संयोगिता के स्वयंवर में उसने पृथ्वीराज को छोड़कर तत्कालीन आर्यावर्त (भारत) के सभी राजाओं को निमंत्रण दिया। साथ ही द्वारपाल के रूप में उसकी मूर्ति महल में लगवा दी। संयोगिता ने स्वयंवर में द्वारपाल बने पृथ्वीराज के गले में वरमाला डाल दी। वहां पहले से बैठा पृथ्वीराज संयोगिता को घोड़े पर उठाकर दिल्ली ले उड़ा। दिल्ली से पृथ्वीराज संयोगिता को लेकर अजमेर की तरफ बढ़ा। अजमेर से महज चार-पांच मील दूर संयोगिता की पायल का घुंघरू निकलकर गिर पड़ा। घुंघरू मिला या नहीं लेकिन कालान्तर में गांव को जन्म जरूर दे गया। इतिहास और आधुनिक दौर में इसे 'घूघराÓ गांव कहा जाता है।
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