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शर्मसार कर दिया राजस्थान के सरकारी कॉलेज-यूनिवर्सिटी ने, देश में नहीं जगह बना पाए अपनी

निजी क्षेत्र के एक विश्वविद्यालय ने जरूरी लाज बचाई है। देश के अन्य हिस्सों में भी सरकार की अपेक्षा निजी संस्थाएं ही सूची में ज्यादा शामिल हुई हैं।

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state university college fail in clean-green drive

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

देश के कॉलेज और विश्वविद्यालयों को स्वच्छता और हरियाली के आधार पर रेटिंग देने की योजना का 'नतीजा जारी हो गया है। खुद को क्लीन-ग्रीन मानने वाला महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय सूची में स्थान नहीं बना पाया है। अलबत्ता राज्य से निजी क्षेत्र के एक विश्वविद्यालय ने जरूरी लाज बचाई है। देश के अन्य हिस्सों में भी सरकार की अपेक्षा निजी संस्थाएं ही सूची में ज्यादा शामिल हुई हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को स्वच्छता और हरियाली के आधार पर रेटिंग देने की योजना बनाई है। क्लीन और ग्रीन कैंपस योजनान्तर्गत देशभर में १७४ संस्थाओं ने आवेदन किया। राजस्थान से महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर और चूरू का आइडियल इंस्टीट्यूट शामिल हुए। यूजीसी की उच्च स्तरीय टीम ने बीती २३ अगस्त को इन संस्थाओं का निरीक्षण किया। इसके तहत भवनों में स्वच्छता, कम्प्यूटरीकरण, परिसर में हरियाली, सौर ऊर्जा की उपयोगिता और अन्य संसाधनों का बारीकी से मूल्यांकन किया।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके नतीजे घोषित कर दिए। इनमें देश के टॉप-२५ संस्थान शामिल हैं।

पिछड़ा मदस विश्वविद्यालय

टॉप-२५ संस्थानों को सूची महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय स्थान नहीं बना सका। राज्य से जयपुर का मणिपाल यूनिवर्सिटी एकमात्र संस्थान रहा, जिसे सूची में द्वितीय स्थान मिला। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, असम, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और पंजाब के सरकारी और निजी कॉलेज-विश्वविद्यालय शामिल हैं।

बड़ी सरकारी संस्थाएं रही दूर

क्लीन और ग्रीन कैंपस योजना से राज्य की बड़ी संस्थाएं दूर रही। जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, उदयपुर के एम. एल.सुखाडिय़ा सहित अन्य सरकारी और निजी विश्वविद्यालय, सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय और अन्य बड़े कॉलेज ने आवेदन ही नहीं किया।

इन बिन्दुओं पर था खास जोर

-संस्थाओं में कचरा निष्पादन प्रक्रिया

-भवनों में विद्यार्थियों-शिक्षकों के अनुपात में टॉयलेट सुविधा

-विश्वविद्यालय-कॉलेज में पेयजल सुविधा

-परिसर और भवनों में सौर ऊर्जा की उपयोगिता

-संस्थानों में हरियाली और पर्यावरण सुरक्षा