प्रदेश में अजमेर, झालावाड़, भरतपुर, बीकानेर, बारां, जोधपुर, बीकानेर, बांसवाड़ा सहित कई सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इनमें से कई कॉलेज में लम्बे अर्से से अनियमितताएं की शिकायतें सरकार और राजभवन तक पहुंचती रही हैं। कुछ मामलों में सरकार ने कार्रवाई भी की, लेकिन यह सिलसिला थमा नहीं है।
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सरकार नहीं है खुशप्रदेश के अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज स्वायत्तशासी समिति के अधीन संचालित हैं। इनमें अनियमितताएं और मनमानियों की शिकायतें पिछली कांग्रेस और भाजपा सरकार और राजभवन के पहुंचती रही थीं। इनमें नियुक्तियों, सामग्री की खरीद-फरोख्त, चहेतों को फायदा देने जैसी शिकायतें शामिल थी। इस बार भी हालात कमोबेश वैसे ही है। प्रदेश के कई इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्यों के कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री और तकनीकी शिक्षा विभाग तक शिकायतें पहुंची हैं।
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स्थाई प्राचार्यों की नियुक्ति कब?बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में जून 2015 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। यहां नवम्बर 2016 तक डॉ. जे. पी. भामू प्राचार्य रहे। इसके बाद मई 2017 तक मैकेनिकल विभाग के रीडर डॉ. रोहित मिश्रा ने अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रो. रंजन माहेश्वरी को प्राचार्य बनाया। प्रो. माहेश्वरी को इसी साल मार्च में पुन: विश्वविद्यालय भेज दिया गया। इनके स्थान पर डॉ. मिश्रा को दोबारा कार्यवाहक प्राचार्य बनाया गया है।
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज की भी यही स्थिति है। यहां बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रिॉनिक इंस्ट्रूमेंटेशन एन्ड कंट्रोल विभाग के रीडर डॉ. जितेंद्र कुमार डीगवाल कार्यवाहक प्राचार्य हैं। पूर्व प्राचार्य डॉ. अजयसिंह जेठू दिसंबर 2017 में में इस्तीफा देकर वापस एमएनआईटी चले गए थे। तबसे स्थाई प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हुई है।