
Fraud-ऑनलाइन ठगी का शिकार होने से बचने के लिए खुद रहें सजग
मनीष कुमार सिंह
अजमेर. तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल में बैंकिंग क्षेत्र में ऑन लाइन लेन-देन व खरीददारी का चलन तेजी से बढ़ रहा है लेकिन छोटी-छोटी गलतियों व लालच के फेर में रोजाना सैकड़ों लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। अजमेर में रोजाना दो से तीन व्यक्ति ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। पुलिस साइबर सेल लगातार गिरोह का पर्दाफाश करने का प्रयास कर रही है लेकिन हजारों किमी. दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बैठे सैकड़ों जालसाज पुलिस के पहुंचने से पहले सिमकार्ड व क्षेत्र बदल देते हैं। पुलिस के आलाधिकारियों की मानें तो देश में सक्रिय ठग व जालसाजों से निपटने का एक ही तरीका है कि आने वाले अंजान कॉल को इग्नोर कर बैंकिंग से जुड़ी जानकारी साझा न किया जाए।
केस-1
खानपुरा निवासी जावेद खान बैंक खाते से अज्ञात व्यक्ति ने धोखे से ३० हजार रुपए की निकासी कर ली। जावेद खान ने मामले में रामगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया।
केस-2
सुभाष नगर गली नम्बर २० निवासी निवासी सुरेन्द्र सिंह को २९ सितम्बर की शाम को बैंक खाते से धोखाधड़ीपूर्वक १६ हजार ५०० रुपए निकाल लिए। सुरेन्द्र ने मामले में रामगंज थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया।
नहीं बताएं ओटीपी
-ऑनलाइन व नेट बैंकिंग में ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) महत्वपूर्ण है। यह स्वयं के इस्तेमाल के लिए होता है। एटीएम, डेबिट कार्ड या ऑन लाइन खरीदारी में ओटीपी आता है।
-मोबाइल पर आने वाले ओटीपी मैसेज को पूरा पढ़ें। खाते का गलत इस्तेमाल होने पर मैसेज के अंत में मौजूद नम्बर पर एसएमएस या टोल फ्री नम्बर पर कॉल कर खाते को ब्लॉक किया जा सकता है। बैंक और थाने जाने का इंतजार नहीं करें।
http://- से जुड़ी वेबसाइट व लिंक न खोलें। इससे गोपनीय सूचना, पासवर्ड, डाटा लीक होने का खतरा रहता है।
https-S(एस) का मललब सिक्योर है लेकिन यहां भी इनामी स्कीम, लॉटरी खुलने पर एटीएम, डेबिट कार्ड जुड़ी जानकारी को साझा ना करें।
क्या करें-क्या नहीं
-फर्जी कॉल से सावधान रहें, बैंक संबंधित जानकारी न दें।
-पिन नम्बर समय-समय पर बदलते रहें।
-पिन नम्बर को याद रखें, उसे न कार्ड के साथ कहीं नहीं लिखें।
-एटीएम कार्ड, पिन नम्बर व नेट बैंकिंग की जानकारी किसी को न दें।
-एटीएम बूथ में किसी को पास न आने दें, न किसी अंजान व्यक्ति की मदद लें।
-अन्जान डिवाइस के लगे होने का संदेह होने पर कार्ड स्वाइप न करें।
-मैसेज या मेल से आने वाली इनामी स्कीम को अनदेखा करें।
-बैंक में मोबाइल नम्बर रजिस्टर करें व लेनदेन के लिए एसएमएस अलर्ट लें।
-मोबाइल पर आने वाले अवांछित लिंक न खोलें।
-एटीएम, डेबिट, क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में ओटीपी जरूरी है। इसे सार्वजनिक न करें।
-बिना चौकीदार वाले बूथ पर स्केयर डिवाइस की तसल्ली करें। पिन नम्बर डालने से पहले हाथ न लगाएं।
-प्ले स्टोर से एप डाउन लोड के दौरान सावधानी बरतें। एप के अलावा बहुत सी जानकारी ले ली जाती है। वेरिफाइड प्ले प्रोटेक्ट एप ही डाउन लोड करें।
एक्सपर्ट व्यू
ऑन लाइन ठगी से बचना है तो खुद को जागरूक व सतर्क रहना होगा। मोबाइल पर या ऑन लाइन बैंकिंग से संबंधित जानकारी के अभाव में उसका इस्तेमाल न करना समझदारी है। बैंकिंग से जुड़े डाटा, पिन व ओटीपी किसी भी व्यक्ति को न बताएं। अन्जान व अनचाहे लिंक न खोलें। कम्प्यूटर-लेपटॉप पर रजिस्टर्ड एंटी वायरस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बिना चौकीदार वाले एटीएम बूथ के इस्तेमाल में सावधानी बरतें। इन छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखकर ठगी से बचा जा सकता है।
-जगमाल दायमा, प्रभारी साइक्लोन सेल (जिला पुलिस)
इनका कहना है...
रोजाना जानकारी के अभाव और लालच में लोग बैंक संबंधित जानकारी साझा कर देते है। अभी बड़ी संख्या में लोग ऐसे है जिन्हें नेट बैंकिंग का ज्ञान नहीं है। पुलिस पड़ताल में कई मर्तबा सामने आया कि ठग नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हैं। जहां पुलिस के एक-दो जवान नहीं बल्कि पूरी पुलिस टुकड़ी के साथ कार्रवाई की जरूरत पड़ती है। पुलिस कार्रवाई होती है उससे पहले ठग सिमकार्ड व लोकेशन बदल लेता है, जिन्हें ट्रेक करना भी मुश्किल होता है। ऐसे अपराध को रोकने के लिए अन्जान लोगों के कॉल को ब्लॉक करें और बैंक से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक न करंे।
-कुंवर राष्ट्रदीप, एसपी अजमेर
Published on:
01 Oct 2019 04:00 am
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