
low vote caste in election
अजमेर.
छात्रसंघ चुनाव के नतीजे बहुत ज्यादा चौंकाने वाले नहीं आए। एनएसयूआई और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को अंदरूनी फूट, अपने ही छात्र-छात्राओं की बगावत और कम मतदान का जबरदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा।
केंद्र और राज्य में सरकार होने के बावजूद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, दयानंद कॉलेज, राजकीय कन्या महाविद्यालय में अध्यक्ष पद नहीं मिल पाए। मदस विश्वविद्यालय में 2012-13 से लगातार हार रही विद्यार्थी परिषद ने ऐनमौके पर लोकेश गोदारा पर दांव खेला। यह बिल्कुल सही साबित हुआ।
उधर निर्दलीय प्रत्याशी पंकज रुलानिया ने अभाविप से बगावत कर ताल ठोकी। उनकी तीन साल की सक्रियता, विद्यार्थी परिषद के पुराने कार्यकर्ताओं की मेहनत विफल रही। यहां उपाध्यक्ष पद शिवनेश, महासचिव पद पर राहुल राजपुरोहित और संयुक्त सचिव पद पर निहारिका उपाध्याय ने कब्जा जमाया।
एनएसयूआई के हेमंत तनवानी महज 24 वोट हासिल कर पाए। यही हाल सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में हुआ। यहां जाट मतदाताओं के बूते एनएसयूआई ने राजपाल जाखड़ को टिकट दिया। गुटबाजी के चलते यहां अब्दुल फरहान खान ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी पर्चा भरा। फरहान को पुराने कार्यकर्ताओं का भरपूर साथ मिला।
उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पियूष सिवासिया और एनएसयूआई के ही राजपाल को करारी शिकस्त देकर जीत हासिल की।
कॉलेज में हुए कम मतदान ने भी फरहान की जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया। दयानंद कॉलेज में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई की रणनीति काम नहीं हुई। यहां भी निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र महरिया अध्यक्ष निर्वाचित हुए। शेष तीन पद भी निर्दलीय प्रत्याशियों के खाते में गए।
राजकीय कन्या महविद्यालय में भी एनएसयूआई और विद्यार्थी परिषद के दावे धराशायी हो गए। यहां निर्दलीय प्रत्याशी स्वस्ति आर्य और उनके पैनल ने धमाकेदार जीत हासिल की।
सभी संस्थाओं में एनएसयूआई और अभाविप से जुड़े रहे छात्रों और कार्यकर्ताओं ने दोनों संगठनों को अंदरूनी स्तर पर काफी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने अपने प्रत्याशी या निर्दलीय को समर्थन देकर चुनावी समीकरण बिगाडऩे में कसर नहीं छोड़ी। इसके चलते तमाम चुनावी समीकरण बदल गए।
पचास साल में पहले मुस्लिम अध्यक्ष
जीसीए के पुराने छात्रनेताओं और पूर्व छात्रों की मानें तो अब्दुल फरहान खान पहले मुस्लिम प्रत्याशी हैं, जो अध्यक्ष बने हैं। भाजपा नेता अब्दुल वहीद खान ने बताया कि 1970 के बाद से हुए छात्रसंघ चुनाव में विभिन्न जातियों के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इनमें अल्पसंख्यक वर्ग से चुनाव जीतने वाले अब्दुल फरहान एकमात्र प्रत्याशी हैं। उधर चुनाव जीतने के बाद स्वामी कॉम्पलेक्स पर मुस्लिम समुदाय ने पटाखे चलाकर और मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की।
Published on:
13 Sept 2018 07:21 am
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