scriptस्टूडेंट्स चाहते हैं नए कोर्स, नहीं उड़ रही इनकी नींद | Students demand for new law courses in college | Patrika News

स्टूडेंट्स चाहते हैं नए कोर्स, नहीं उड़ रही इनकी नींद

locationअजमेरPublished: Jul 06, 2019 09:20:24 am

Submitted by:

raktim tiwari

कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को श्रम निरीक्षक, फेक्ट्री और बॉयलर विभाग सहित वकालत में लाभ मिलता था।

law courses in rajasthan

law courses in rajasthan

रक्तिम तिवारी/अजमेर

लॉ कॉलेज में संचालित डिप्लोमा इन लेबर लॉ (डीएलएल)और डिप्लोमा इन क्रिमनॉलोजी कोर्स (डीसीएल) औपचारिक बन गए हैं। विद्यार्थियों को कॅरियर में इनका ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा। कॉलेज इनके बजाय विधि संकाय के नए कोर्स चलाना चाहता है। लेकिन महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय और सरकार से कोई मंजूरी नहीं मिल रही है।
लॉ कॉलेज 2005 में अस्तित्व में आया, लेकिन यह पूर्व में जीसीए के विधि संकाय के रूप में संचालित था। यहां बरसों तक एलएलबी के साथ एक वर्षीय डिप्लोमा इन लेबर लॉ और डिप्लोमा इन क्रिमनोलॉजी कोर्स संचालित है। 90 के दशक तक दोनों कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को श्रम निरीक्षक, फेक्ट्री और बॉयलर विभाग सहित वकालत में लाभ मिलता था। धीरे-धीरे इन विभागों में राजस्थान लोक सेवा आयोग के जरिए भर्तियां होनी शुरु हो गई। लिहाजा इन कोर्स की खास अहमियत नहीं रही है।
read more: RPSC आयोग करेगा साक्षात्कार के लिए बेहतर इंतजाम

कॅरियर में नहीं खास लाभ

मौजूदा वक्त ज्यादातर विद्यार्थी तीन या पांच वर्षीय एलएलबी को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। एलएलबी करने के साथ वह अदालतों में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ प्रेक्टिस शुरू कर देते हैं। कई राजस्थान सहित अन्य प्रांतों में न्यायिक सेवाओं में चले जाते हैं। इसके अलावा स्वतंत्र प्रेक्टिस करते हैं। इसी तरह शैक्षिक क्षेत्र में कॅरियर बनाने वाले विद्यार्थी एलएलएम कोर्स करते हैं। इस लिहाजा से डीसीएल और डीएलएल कोर्स का विद्यार्थियों को खास फायदा नहीं मिल रहा है।
नहीं है पर्याप्त शिक्षक
डीसीएल और डीएलएल में ऐसे विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जो किसी व्यवसाय, सरकारी अथवा निजी नौकरियों में कार्यरत हैं। अधिकांश विद्यार्थी व्यस्तता के चलते कॉलेज नियमित नहीं आ पाते। लिहाजा कॉलेज के लिए दोनों कोर्स फायदेमंद साबित नहीं हो रहे हैं। एक तरफ दोनों डिप्लोमा कोर्स के विद्यार्थियों की व्यस्तता और दूसरी तरफ कॉलेज में सीमित स्टाफ के चलते वर्कलोड बढ़ा हुआ है।
read more: MDSU: सुमन शर्मा के बेटे पर फिर मेहरबानी की तैयारी

नए कोर्स की नहीं मंजूरी

लॉ कॉलेज डिप्लोमा इन लेबर लॉ और डिप्लोमा इन क्रिमनोलॉजी को चलाने का ज्यादा इच्छुक नहीं है। इसके बजाय वह डिप्लोमा इन साइबर लॉ, फोरेंसिक लॉ, सर्टिफिकेट कोर्स इन एन्वायरमेंट लॉ, एक वर्षीय एलएलएम जैसे कई नए कोर्स चलाना चाहता है। इन कोर्स के जरिए विद्यार्थियों को रोजगार भी त्वरित मिल रहे हैं। साथ ही देश-विदेश में संस्थाओं की पहचान भी बन रही है। सरकार और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से नए कोर्स की मंजूरी नहीं मिल रही है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो