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Student election: नेताओं के पैर छूने लगे दावेदार, टिकट के लिए शुरू हुई जुगत

locationअजमेरPublished: Jul 27, 2018 07:48:34 am

Submitted by:

raktim tiwari

www.patrika.com/rajasthan-news

student union election

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अजमेर

कॉलेज और विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव लडऩे वाले दावेदार और छात्रसंघ पदाधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है। चुनावी रणनीति को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। इसमें कांग्रेस और भाजपा नेताओं के अलावा छात्र संगठन और चुनाव लडऩे के इच्छुक प्रत्याशी शामिल हैं। चुनाव कार्यक्रम जारी होते ही सभी संस्थाओं के पैनल जारी करेंगे।
कॉलेज और विश्वविद्यालयों में अगस्त के दूसरे पखवाड़े में छात्रसंघ चुनाव होंगे। इनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पद शामिल है। चुनाव में प्रमुख रूप रूप से एनएसयूआई और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। कहीं-कहीं निर्दलीय प्रत्याशियों से भी दोनों संगठनों को करारी हार मिलती रही है। इस बार भी एनएसयूआई और एबीवीपी में ही सीधी टक्कर दिख रही है।
शुरू हुआ बैठकों का दौर
एनएसयूआई और एबीवीपी को क्रमश: कांग्रेस और भाजपा समर्थित माना जाता रहा है। छात्रसंघ चुनाव दोनों ही दलों के लिए अहम रहे हैं। इस बार तो विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लिहाजा दोनों दलों के नेताओं और छात्रसंघ पदाधिकारियों की बैठक शुरू हो गई हैं। जहां एनएसयूआई के नए और पुराने जिलाध्यक्ष, कांग्रेस नेताओं की टिकट वितरण में अहम भूमिका रहेगी। इसी तरह एबीवीपी में भी प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री और भाजपा नेताओं का दखल रहेगा।
यह था पिछले साल का हाल
साल 2017 में हुए छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, दयानंद कॉलेज, श्रमजीवी कॉलेज में अध्यक्ष पद जीता था। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में मनीष पूनिया निर्दलीय अध्यक्ष बने पर बाद में वे एनएसयूआई में शामिल हो गए थे। राजकीय कन्या महाविद्यालय, संस्कृत कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को एकतरफा जीत मिली थी। लॉ कॉलेज में चारों पदों पर निर्दलीय प्रत्याशी को विजय मिली थी। दोनों ही दलों को परस्पर टिकट वितरण में गलतियों और कई कारणों से नुकसान उठाना पड़ा था।
सोशल मीडिया, पोस्टर-बैनर से प्रचार

भावी छात्र नेताओं ने सोशल मीडिया के अलावा पोस्टर-बैनर लगाकर प्रचार शुरू कर दिया है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के बाहर तो बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं। फेसबुक पर भी युवाओं की सक्रियता बढ़ गई है।

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