सोनम राणावत /अजमेर. कुछ वर्ष पूर्व तक भारत में आमतौर पर कुश्ती और मुक्केबाजी लड़कियों का खेल नहीं माना जाता था। लेकिन कुश्ती में फोगाट सिस्टर्स और मुक्केबाजी में मैरीकॉम ने इन खेलों की परिभाषा ही बदल दी। विश्वस्तर पर भारत का नाम ऊंचा करने वाली इन महिलाओं ने देश की अन्य लड़कियों के लिए भी प्रेरणा का काम किया है। अजमेर की स्वस्ति आर्य भी एक ऐसा नाम है जिसने मुक्केबाजी में कमाल कर दिखाया है। जज्बा और जुनून ऐसा कि स्वस्ति ने मुक्केबाजी की बॉक्सिंग क्वीन मैरीकॉम को ही चुनौती दे डाली। हालांकि इस मुकाबले में वह जीत तो नहीं पाईं लेकिन साबित जरूर कर दिया कि वह देश के लिए भविष्य की उम्मीद बन सकती हैं।
राजकीय कन्या महाविद्यालय में बीए फाइनल की छात्रा स्वस्ति ने क्वीन मैरिज स्कूल से बारहवीं पास की है । उन्होंने बताया कि खेलकूद में उसकी बचपन से ही रुचि रही है। लेकिन तकरीबन चार साल पहले मेरीकॉम फिल्म से प्रभावित होकर कोच विशाल निर्वाण से ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। बॉक्सिंग के प्रति स्वस्ति का रुझान देखकर माता-पिता ने भी इसी क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
‘तुम भी दूसरी मैरी बन जाओगी
स्वस्ति ने बताया कि दिसम्बर 2017 में इंडिया कैम्प के दौरान देशभर से आए नेशनल व इंटरनेशल बॉक्सिंग चैम्पियन्स से कुछ न कुछ नया सीखने का मौका मिला। साथ ही जब मुझे पता चला कि ट्रेनिंग के दौरान एक प्रतियोगिता में मुझे मैरीकॉम के साथ बॉक्सिंग करनी होगी, उस समय मन में बहुत खुशी तो थी ही साथ ही टेंशन भी थी। लेकिन बॉक्सिंग खत्म होने के बाद उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा अभी तुम बहुत छोटी हो मेहनत करने से एक दिन तुम भी दूसरी मैरी बन जाओगी।
लम्बे बालों का किया त्याग
स्वस्ति ने बताया कि बॉक्सिंग ने उन्हें इतना दीवाना बना दिया है कि अब कोई क्या कहेगा इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है कि लड़कियों की खूबसूरती वैसे तो लम्बे बालों से होती है लेकिन बॉक्सिंग करने के दौरान मुझे अपने लम्बे बालों से काफी दिक्कत आती थी इसलिए मैंने अपने लम्बे बालों को कटवाकर बॉयकट करवा लिए।
अब इंटरनेशनल की तैयारी
स्वस्ति ने बताया कि जिला स्तर पर जूनियर व सीनियर लेवल पर गोल्ड व राज्य स्तर पर जूनियर में गोल्ड व सीनियर में ब्रॉन्ज मैडल जीतने के बाद नेशनल लेवल पर जूनियर लेवल पर खेलने के बाद अब वे सीनियर व इंटरनेशनल लेवल की तैयारी में जुट गई हैं।
म्हारी छोरी छोरां से कम है के
स्वस्ती के पिता यतीन्द्र शास्त्री ने बताया कि उनकी चार बेटियां है जिनमें स्वस्ति सबसे छोटी है। बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। लोगों को भले ही बेटे की कमी महसूस होती होगी लेकिन मेरी बेटियों ने ऐसा काम कर दिखाया है कि मुझे भी अपनी बेटियों से पहचान मिल गई। अब जब भी कोई बेटों के बारे में बात करता है तो मैं हमेशा कहता हूं कि म्हारी छोरियां छोरों से कम है के।