
dandiya
मरूधरा पर सुदूर गुजरात की संस्कृति और पारम्परिक लोक गीत शनिवार को गरबा-डांडिया में गूंज उठे। संगीत की मधुर धुनों और ढ़ोल की थाप पर युवक-युवतियों के पैर यूं थिरके मानो शहर पूरी तरह गुजराती रंग में रंग गया हो।
सतरंगी लाइटों और भव्य सजावट ने गरबा डांडिया में चार चांद लगा दिए। नगर निगम के तत्वावधान में पटेल मैदान में गरबा-रास आयोजित हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन महापौर धर्मेन्द्र गहलोत और उपमहापौर सम्पत सांखला ने किया। ढलती शाम के साथ पंखीड़ा रे पंखीड़ा, म्हारो सोना रो घुडलो रे, सोनल गरबो धीरे... जैसे गीतों ने फिजा में रंग घोल दिया।
इसमें की-बोर्ड, ड्रम, गिटार की धुनों और ढ़ोल की थाप ने युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। भक्तिधाम, अजमेर क्लब, चित्रकूट धाम, मेरवाड़ा स्टेट व शहर के अन्य स्थानों पर भी गरबा रास आयोजन हुआ ।
युवकों को लुभा रहा केडि़या
गरबा खेलने के लिए युवकों को केडि़या बेहद लुभा रहा है। केडि़या डांडिया खेलते समय युवकों का पहना जाने वाला विशेष गुजराती परिधान है जिसमें घेरदार कुर्ता,धोती, कांच व कोडि़यों की बनी जैकेट व पचरंगी पगड़ी शामिल है।
केडि़या पर रंगबिरंगी ऊन से गुजरात की आकर्षक पारम्परिक कशीदाकारी होती है जिसमें मोर, कलश व गरबा खेलते स्त्री-पुरुष आदि की डिजाइन बनी होती है। इसके साथ ही कुर्ता व काफनी पायजामा भी युवकों में अत्यधिक चलन में है।
आभूषणों में सजी युवतियां
गरबा रास में युवतियों में गुजराती लहंगे व ब्लैक मैटल व कोड़ी से बनी ज्वैलरी का फ्यूजन देखने को मिला। युवतियों में सिप व सिक्के के रानी हार, पासे के मांग टीके व झुमके इत्यादि पहन कर डांडिया रास में जमकर ठुमके लगाए।
होंगी विभिन्न प्रतियोगिताएं
नवरात्रों के दौरान नौ दिनों तक चलने वाले डांडिया रास में नवयुवकों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होंगी। इसके लिए प्रतिभागियों में गहरा उत्साह देखने को मिल रहा है।
विशेष प्रकार के डांडिया
बाजार में डांडिया की भी आकर्षक डिजाइन मौजूद हैं। घूंघर, कोड़ी के साथ ही चूंदड़ी, गोटे व बैरिंग व कठपुतली के विशेष डांडिया भी नवयुवकों को आकर्षित कर रहे हैं।
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