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किस्सा हवेली का : किन्नर चेले ने अपने ही गुरु के साथ किया ऐसा गन्दा काम, पढ़ें पूरी खबर

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The disciple possession on senior transgender's building

किस्सा हवेली का : किन्नर चेले ने अपने ही गुरु के साथ किया ऐसा गन्दा काम, पढ़ें पूरी खबर

अजमेर. जिसे अपना नाम देकर किन्नर समाज में पहचान दिलाई उसी चेले ने तीन साथियों के साथ मिलकर 'गद्दी और हवेली पर कब्जा जमा लिया। हवेली से बेदखल किन्नर गुरु किरण बाई ने मंगलवार सुबह पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह से न्याय की गुहार लगाई।

लौंगिया कुम्हार मोहल्ला हिजड़ों की हवेली निवासी व गद्दीनशीन किरण बाई ने एसपी सिंह को दी शिकायत में बताया कि वह धापू बाई चेला पद्मा बाई की चेली है। धापू बाई ने उसे अक्टूबर 2012 में मुतवल्ली नियुक्त करते हुए वारिस घोषित किया था। यह वसीयत पंजीयन कार्यालय में पंजीबद्ध है। अजमेर की गद्दी के अधीन अजमेर शहर, नसीराबाद, ब्यावर व भीलवाड़ा (मेवाड़ क्षेत्र) आता है। अजमेर की गद्दी पर करीब 50-60 चेले हैं जो अजमेर, नसीराबाद, ब्यावर और भीलवाड़ा में बधाई लेते हैं।

वह समय-समय पर अपने चेलों की खैर-खबर लेने जाती रहती है। वह गत 5 जुलाई को भीलवाड़ा व ब्यावर गई थी तब उसकी चेली मेघा, पूजा, काजल, सुमन, पिंकी, ममता का फोन आया। उन्होंने बताया कि चेली बिजली उर्फ सोनी, संध्या, ऐश्वर्या व शकीला ने कमरे व अलमारी का ताला तोड़कर हवेली में रखे सोने-चांदी के जेवर, करीब साढ़े 7 लाख रुपए और दस्तावेज चुरा लिए। रोकने पर उन्हें मारपीट कर हवेली से बेदखल कर दिया। वहीं असामाजिक तत्वों को बुलाकर हाथ-पैर तुड़वाने की धमकियां दी।


बेच दिया सामान-जेवर

किरण बाई ने बताया कि वह सोमवार को हवेली पर गई तो उसको भी बिजली उर्फ सलोनी, संध्या, ऐश्वर्या और शकीला ने बदसलूकी करते हुए हवेली से बाहर निकाल दिया। अलमारी से जेवर व नकदी निकालने के संबंध में पूछा तो बेचने की बात कही। आरोपितों ने 12 जुलाई को तथ्यहीन आम सूचना प्रकाशित करवाकर कर स्वयं को हवेली का स्वामित्व घोषित कर दिया।


ये है गद्दी का इतिहास

वर्ष 1940 से अजमेर की गद्दी पर गुरु के वरिष्ठ व काबिल चेले को मौजूदा गुरु गद्दीनशीन करता आया है। वर्ष-1940 में तत्कालीन गद्दीनशीन प्यारी बाई ने अपनी सम्पत्ति का ट्रस्ट बनाकर उसे पंजीकृत करवाया। प्यारीबाई ने मृत्यु पूर्व अपने चेले तेजा बाई, मैना बाई, नाथी बाई को संयुक्त रूप से मुतवल्ली नियुक्त किया। मैना बाई व नाथी बाई की मृत्यु के बाद तेजा बाई लम्बे समय तक गद्दीनशीन रही। उसके बाद तेजा बाई ने पदमा बाई तथा पदमा बाई ने धापू बाई को गद्दीनशीन किया। धापू बाई ने अपनी मृत्यु से पूर्व ही किरण बाई को मुतवल्ली को घोषित किया।