चन्द्र प्रकाश जोशी
अजमेर. मजदूर पति टीबी की चपेट में आया तो इलाज करवाने इसे अस्पताल में भर्ती करवाया। खुद भी मजदूरी कर परिवार का गुजर बसर कर रही थी। अस्पताल में पति का इलाज करवाने के दौरान करीब एक माह से वह भी अस्पताल में ही रहीं। मगर अस्पताल में रहने के दौरान वह खुद भी बीमारी की चपेट में आ गई। पति का इलाज तो जारी ही है मगर अब खुद भी जांचें करवा कर इलाज ले रही हैं।
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के टीबी अस्पताल में संक्रमण के खतरा होने के बावजूद स्वच्छता एवं साफ सफाई पर ढिलाई बरतने का नतीजा है कि अटेंडेंट भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। खुद पीडि़ता प्रेम ने बताया कि वह अस्पताल में कई दिनों से अपने पति का इलाज करवाने के लिए यहां रुकी हुई हैं। अस्पताल में गंदगी से परेशान हैं। मुंह व नाक पर हाथ ढक कर कई बार रहना पड़ता है। अस्पताल में रहने के कारण ही उसकी तबियत बिगड़ गई है। चिकित्सक को दिखाया और जांच करवाई, एक्सरे करवाया। अभी सात दिन की दवाइयां लिखी हैं। पे्रम के अनुसार शौचालयों को रात्रि में बंद रखने से मरीज व अन्य लोग बाहर आकर रेम्प, सीढिय़ों के आसपास लघुशंका कर देते हैं, इससे संक्रमण फैल रहा है। वार्डों में तीनों समय सफाई नहीं होती है।
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…ताकि और ना हो जाए कोई बीमार
पीडि़ता प्रेम के अनुसार अस्पताल की साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है। वह खुद तो बीमार हुई है, रोग की चपेट में आई है मगर कोई अन्य मरीज के घर वाले चपेट में नहीं आ जाए। प्रेम के अनुसार उसका आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड भी है मगर कोई फायदा नहीं मिला है। अस्पताल में वैसे तो नि:शुल्क दवाइयां व जांचें हो रही है।
इन पर अमल होना चाहिए
-मरीजों के अटेंडेंट के लिए टीबी अस्पताल में अलग से विश्रामघर बनेे।
-टीबी अस्पताल के वार्डों में दिन में (केमिकल आदि से) तीन बार सफाई हो।
-मरीजों के बैड के आसपास बंद डिब्बों/पात्र की व्यवस्था हो ताकि गंदगी ना फैलाएं।
-वार्ड व परिसर को संक्रमणरहित रखने पर काम होना चाहिए।
इनका कहना है
सुबह की शिफ्ट में एक सफाईकर्मी है, दोपहर में टीबी, कार्डियोलॉजी एवं यूरोलॉजी विभाग में मात्र एक सफाईकर्मी है। वार्डों में सफाई के लिए सिर्फ झाड़ू लगाकर इतिश्री कर लेते हैं। वहीं गंदगी फैलाने के लिए मरीज भी जिम्मेदार हैं, कहीं भी कफ थूक देते हैं, पेशाब कर देते हैं। बजट स्वीकृत हुआ है, इससे जल्द शौचालय आदि नए सिरे से बनाए जाएंगे। टीबी का संक्रमण इतना जल्दी नहीं होता है, लम्बे समय तक एक ही छत के नीचे रहने से ही यह संभव है।
डॉ. नीरज गुप्ता, कार्यवाहक विभागाध्यक्ष, टीबी विभाग जेएलएनएच