
चाट-पकौड़ी का बिगड़ा ‘जायका’, और हो सकती है महंगी !
दिलीप शर्मा
प्रदेश में नमकीन उत्पादों पर जीएसटी की दरें 13 प्रतिशत बढ़ाने से अब कढ़ी कचौरी एवं नमकीन उत्पाद तैयार करने वाले व्यवसायी एवं उपभोक्ताओं की जेब पर भी मार पड़ेगी। राज्य का जीएसटी विभाग कचौरी, समोसा, कोफ़्ता निर्माताओं को नोटिस थमा रहा है। पूर्व में जीएसटी की दरें 5 प्रतिशत वसूली जाती थीं, लेकिन अब इसे 18 प्रतिशत किया गया है।
क्या है मामला
जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारी 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी दे रहे थे, लेकिन अब व्यापारियों को 18 प्रतिशत की दर से कर भरने को कहा जा रहा है। पिछले 5 साल की डिमांड ब्याज और शास्ति जोड़ कर जारी कर दी गई है।
क्या पड़ेगा प्रभाव
कर शास्ति व ब्याज मिलाकर एक 15 रुपए की कचौरी पर जीएसटी अनुसार गणना हो रही है। यदि इस जीएसटी की दर बढ़ाकर वसूली जाती है तो कचौरी की मौजूदा कीमत में इजाफा की संभावनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता।
फैक्ट फाइल
1000 अजमेर जिले में दुकानें छोटी-बड़ी
100000 लीटर कढ़ी की खपत अनुमानित रोजाना
5 लाख नग जिलेभर में बिक्री
समस्या की जड़
जीएसटी कोड सूची में कचौरी, समोसा कोफ़्ता आदि देसी आइटम नहीं है। एक्ट में व्यवस्था ऐसी है कि अगर कोई आइटम का नाम तालिका में नहीं लिखा है तो वह 18 प्रतिशत की दर से चार्ज होगा, जबकि इस श्रेणी के अन्य उत्पाद 5 या 12 प्रतिशत में ही हैं। उद्यमियों के एक शिष्टमंडल ने जीएसटी विभाग के कमिश्नर से मुलाक़ात की, लेकिन उन्होंने इसे दिल्ली का मुद्दा बताते हुए दिल्ली विषय रखने की सलाह दी।
प्रदेशभर के नमकीन उद्यमी प्रभावित
अजमेर : कढ़ी कचौरी
जोधपुर : मिर्ची बड़ा
जयपुर : प्याज़ की कचौड़ी, समोसे
कोटा : हींग चटनी कचौरी
उदयपुर : मावा कचौरी
इनका कहना है...
भारत में जब जीएसटी लाया गया तब प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कचौरी समोसे जैसे जन सामान्य के उपयोग के खाद्य पदार्थों को भूल गए। जीएसटी एक्ट की व्यवस्था है कि अगर किसी वस्तु का नाम एचएसएन की तालिका में उल्लेखित नहीं है तो उस पर 18 प्रतिशत वर्ग में डाल दिया जाए।
- कुणाल जैन, उपाध्यक्ष, राजस्थान नमकीन व्यापार महासंघ, अजमेर
क्या बोले- प्रदेश के व्यापारी
2017 से प्याज कचोरी, मिर्ची बड़ा, समोसा पर 5 प्रतिशत जीएसटी है। हाल ही में कचोरी पर जीएसटी 18 प्रतिशत करने की सूचना दी। चिंता की बात यह है कि बीते पांच साल में बेचे गए माल का 13 प्रतिशत अनुसार जीएसटी मांगी है जो गलत है ।
भूदेव देवड़ा, मिष्ठान्न भंडार संचालक, जयपुर
प्रदेशभर के व्यापारियों ने बताया जनविरोधी
इनका कहना है...देशभर में सर्वाधिक प्रचलित व साधारण वर्ग के लिए मुहैया कढ़ी कचौरी, समोसे आदि को टैक्स फ्री रखा जाना चाहिए। जिस प्रकार बंगाल में आलू चावल बिहार में लिटी चोखा प्रचलित है उसी प्रकार उत्तर भारत में कचौरी समोसा व मिर्ची बड़ा खाया जाता है। इसे कर मुक्त रखा जाना चाहिए।
- राजेश अग्रवाल, स्वीट्स संस्थान, जोधपुर
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भारत में कचौरी, समोसा, जलेबी, इमरती, खमण ढोकला, साबूदाना खिचड़ी, दही बड़ा, चाट, पोहा, चाय आदि पारंपरिक नाश्ता के आइटम है। राजस्थान में ये सभी व्यंजन कम लागत में उपलब्ध हैं। श्रमिक वर्ग बेहद कम खर्च में पेट भरते हैं। दरें बढ़ने से इन पारम्परिक व्यंजनों के अप्रचलित होने का खतरा है।
- राजेंद्र कुमार जैन, फूड संस्थान, कोटा
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राजस्थान में नोटिस व डिमांड ऑर्डर का विरोध करते हैं। किसी भी व्यवसायी के लिए जेब से 13 फीसदी अतिरिक्त टैक्स, ब्याज व पेनल्टी के साथ जमा करना संभव नहीं है। कचौरी, समोसा, खमन ढोकला, पोहा, दही बड़ा, मिर्ची बड़ा, ब्रेड पकोड़ा खाद्य उत्पादों की बिक्री से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
- रोबिन जैन, फूड्स संस्थान निदेशक, जयपुर
कचौरी, समोसा, नमकीन उद्योग जगत में छोटे-बड़े दुकानदार से ज्यादा ठेला गाड़ी वाले लोग मौजूद हैं। इनके पास बहुत कम मार्जिन होता है। ग्राहक भी मात्र एक रुपए बढ़ने पर ही टूट जाता है। 18 प्रतिशत जीएसटी देने पर धंधा चलाना ही मुश्किल हो जाएगा।
विजय बजाज, मिष्ठान भंडार संचालक, उदयपुर
Published on:
17 Feb 2024 11:34 pm
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