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Ragging : पीडि़त छात्रा पर बनया गया था ‘बॉस’ परम्परा का दबाव

पत्रिका साइड स्टोरी : एक माह पहले कॉलेज के हॉस्टल में सीनियर्स ने ली थी रैगिंग, मुख्य आरोपी रैगिंग से बचाने के लिए मददगार बनकर आया

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अजमेर

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Manish Singh

Sep 25, 2025

पीडि़त छात्रा पर बनया गया था ‘बॉस’ परम्परा का दबाव

अजमेर बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज

मनीष कुमार सिंह अजमेर(Ajmer News).

प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों में भले ही कहने को रैगिंग बंद हो गई हो लेकिन मेडिकल व तकनीकी शिक्षण संस्थान में ‘सीनियर्स’ व ‘बॉस’परम्परा आज भी कायम है। अजमेर के इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रथम वर्ष की छात्रा भी ना केवल बॉस परम्परा का शिकार हुई बल्कि मददगार बनकर आए सीनियर छात्र और उसके साथियों ने उसके जीवन से खिलवाड़ का प्रयास किया।

पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि पीडि़ता ने अगस्त 2025 में अजमेर बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। गत 25-26 अगस्त को छात्रा के परिजन को हॉस्टल में सीनियर छात्राओं की ओर से रैगिंग लेकर उसे परेशान करने की शिकायत मिली। छात्रा के पिता ने नेशनल एन्टी रैगिंग हेल्प लाइन पोर्टल पर इसकी शिकायत कर दी। शिकायत इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन तक पहुंची। कॉलेज प्रबंधन ने प्रकरण में सीनियर्स छात्रा से माफी मंगवाकर रैगिंग के मामले को रफा-दफा कर दिया लेकिन छात्रा ‘बॉस’परम्परा के माहौल में ही रह रही थी।

....मार्क्स काटने की धमकी

पड़ताल में सामने आया कि गर्ल्स हॉस्टल में जूनियर छात्रा को परेशान करने की नेशनल एंटी रैगिंग हेल्प लाइन पोर्टल पर की गई शिकायत इंजीनियरिंग कॉलेज में खासी चर्चित हुई। शिकायत को लेकर कॉलेज में कथित तौर पर शिक्षक(फैकल्टीमेम्बर्स) ने भी छात्रा से नाराजगी जाहिर की। छात्रा को कॉलेज में ‘बॉस’परम्परा फॉलो नहीं करने पर मार्क्स काटने तक की धमकी दी गई थी। यह खुलासा पीडि़ता की मां ने अपनी शिकायत में किया है। तकनीकी विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. ए.आर. गर्ग ने बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य से पूरे प्रकरण में जांच कमेटी गठित कर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।

आखिर जिम्मेदार कौन?

मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। छात्रा सुबह 9 से शाम साढ़े 4 बजे तक कॉलेज कैम्पस के बाहर रही लेकिन कॉलेज प्रबंधन, फैकल्टी मेम्बर या फिर हॉस्टल के वार्डन ने छात्रा के क्लास रूम में गैरहाजिर रहने पर पता करने का प्रयास नहीं किया कि आखिर छात्रा कहां है? वह कहां गई? हालांकि कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि सुबह 9 से शाम 4 बजे तक कैम्पस से बाहर जाने की अनुमति है। ऐसे में किसी ने भी पीडि़ता के बाहर जाने और उसके साथ पेश आए वाकये को जानने का प्रयास भी नहीं किया?

यह भी पढ़ें...शर्मनाक : इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्रा को अगवाकर किया कार में गैंगरेप का प्रयास

इनका कहना है....

मामला बहुत गंभीर है। प्राचार्य को कमेटी बनाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसकी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को भेजने के लिए भी कहा है। ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो।

-प्रो.ए.आर. गर्ग, कुलपति, बीकानेर तकनीकी विवि

सुबह 9 से शाम 4 बजे तक छात्राओं के कैम्पस से बाहर जाने की अनुमति है। ताकि कोई सामग्री खरीदना है तो वह बाहर जा सके। इसके बाद उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।

-रेखा मेहरा, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज बड़ल्या


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