धर्मेन्द्र सिंह राठाैड, पूर्व अध्यक्ष पर्यटन निगम का कहना है…राजपूत समाज ने समताराम को उच्च सिंहासन पर बिठाया था। उनको अगर कोई बात बुरी लगी तो सार्वजनिक रूप से गुस्सा नहीं करना चाहिए था। इससे पहले भी नांद गौशाला के कार्यक्रम में समताराम ने मंच से भाजपा नेता राजेन्द्र सिंह राठौड को काफी भला बुरा कह डाला था। संत को गुस्सा नही करना चाहिए।
भंवर सिंह पलाड़ा का कहना है…समाज की जाजम है। कोई आता है, कोई जाता है कोई फर्क नहीं पडता। संत समताराम के साथ कोई गया था क्या। लेकिन अब भविष्य में संत समताराम के साथ मैंं किसी कार्यक्रम में शामिल नही होऊंगा।
संत समताराम का कहना है…मैंने संस्था को बोला था कि वर्ष में एक बार किए जाने वाले आयोजन में दूर-दूर से समाज के लोग एकत्र होते है। सामाजिक मंच से केवल समाज विकास की बात ही होनी चाहिए थी। राजनीतिक विषय के लिए अलग से बैठक होनी चाहिए। यह राजनीतिक मंच नहीं है।