
राजस्थान के इस गांव को है राज्यपाल का इंतजार
अजमेर. ढोला-मारू की प्रेम गाथा के लिए मशहूर नरवर गांव को राज्यपाल का इंतजार है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने गांव गोद लिया है। यहां नौ महीने से राज्यपाल का दौरा अटका हुआ है। अब दीक्षान्त समारोह होने पर ही राज्यपाल और आलाधिकारियों के गांव पहुंचने की उम्मीद है।
नरवर गांव को मदस विश्वविद्यालय ने गोद लिया है। यहां बीते साल २ अगस्त को कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह का दौरा प्रस्तावित था, लेकिन तत्कालीन कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली के निधन से राजभवन ने गांव का दौरा स्थगित कर दिया। इसके बाद से न विश्वविद्यालय का दीक्षान्त और न गांव के दौरे का कार्यक्रम बन पाया है।
कुलपति के कामकाज पर रोक
इसी दौरान कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। यह रोक पिछले छह महीने से जारी है। इससे विश्वविद्यालय को कई नुकसान हो रहे हैं। दीक्षान्त समारोह नहीं हो पाया है। इसके अलावा कई अहम शैक्षिक-प्रशासनिक फैसले कुलपति के बिना अटके हुए हैं।
कराया था रंग-रोगन और मरम्मत
बीते साल राज्यपाल के आगमन को देखते हुए विश्वविद्यालय ने गांव के माध्यमिक स्कूल और अन्य भवनों पर गुलाबी रंग कराया। यहां ५ हजार लीटर की पानी की टंकी रखवाई गई। गांव की उजाड़ वाटिका की चारदीवारी बनवाई गई। इसके अलावा कुछ अन्य कार्य भी कराए गए।
यह हैं तालाब-बावड़ी के हाल
नरवर गांव में प्रवेश करते ही दायीं ओर बूल्या तालाब बना हुआ है। कभी बबूल के पेड़ों की बहुतायत के चलते ही इसका नाम बूल्या तालाब पड़ा। 1975 में हुई अतिवृष्टि में यह तालाब अंतिम बार लबालब भरा। इसके बाद तालाब में कभी पर्याप्त पानी नहीं रहा। तालाब में पानी आवक के स्रोतों पर कई जगह अतिक्रमण हो चुके हैं। किले की तरफ जाने वाली सड़क पर एक तिल की बावड़ी बनी हुई है। इसमें कभी खूब पानी रहता था। खभी राजा-रानी भी इसमें बैठकर चौपड़ खेलते थे। वक्त के साथ बावड़ी बर्बाद हो रही है।
Published on:
09 May 2019 06:57 pm
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