अजमेर /मदनगंज-किशनगढ़. यहां खोड़ा माता इंडस्ट्रियल एरिया में बुधवार सुबह एक निर्माणाधीन फैक्ट्री की दीवार गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई। मृतकों के परिजन ने निर्माण में लापरवाही का आरोप लगाते हुए पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया। समाचार लिखे जाने तक पुलिस और जनप्रतिनिधि समझाइश में जुटे रहे।
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खेड़ामाता औद्योगिक क्षेत्र में ओमप्रकाश जैथलिया की फैक्ट्री पर चारदीवारी का निर्माण किया जा रहा है। मजदूर नारायण बागरिया, बंसी बागरिया, हंसराज बागरिया, कालू बागरिया, पिन्टू प्रजापत प्लास्तर कर रहे थे। इस बीच दीवार गिरने से टिकावड़ा निवासी बंशी बागरिया, हंसराज बागरिया और नारायण बागरिया मलबे में दब गए। करीब आधे घंटे बाद उन्हें बाहर निकाल राजकीय यज्ञनारायण अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने हंसराज और बंशी को मृत घोषित कर दिया।
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ठेकेदार की लापरवाही!
अस्पताल में ठेकेदार रामस्वरूप माली को मजदूरों ने लैण्डर नहीं लगाने को लेकर उलाहना दिया। ठेकेदार ने जबाव दिया कि कि दीवार 20 फीट की बनाई गई है। मैने दीवार में लैण्डर लगाने को कहा, लेकिन मालिक ने मना कर दिया। इसके बाद दीवार में पटाव लगाए गए। मजदूरों ने आरोप लगाया कि दीवार की मजबूती के लिए जो किया जाना चाहिए था, वह नहीं किया। इस पर ठेकेदार ने लापरवाही मानी। उधर,भाजपा नेता विकास चौधरी का आरोप है कि निर्माण में लापरवाही के चलते हादसा हुआ है। बड़ी-बड़ी दीवारें बिना लैण्डर से उठाई जा रही थी। दोनों मृतक युवा हैं। उनके परिवार के लिए रोजीरोटी का संकट हो गया है। इनके बच्चों की शिक्षा और अन्य जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
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…तो और हो जाती मौतें
मृतकों का रिश्तेदार गोवर्धनपुरा भागचंद बागरिया भी मौके पर काम कर रहा था। अचानक जैसी ही दीवार गिरी। वह एक ओर कूद गया। नहीं तो वह भी दब जाता। साथ में अन्य मजदूर भी चपेट में आ सकते थे।
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पहले बनी फिर बिगड़ी बात
विधायक सुरेश टांक, टिकावड़ा सरपंच बोदू जाट, उपसरपंच सांवरलाल नुवाल, मृतकों के रिश्तेदार और फैक्ट्री मालिक के प्रतिनिधि के बीच बातचीत हुई। पांच लाख रुपए का मुआवजा देने पर बात बन गई। मृतकों के परिजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गए,लेकिन बाद में दस-दस लाख रुपए मुआवजा देने की मांग को लेकर मामला बिगड़ गया। इसके चलते पोस्टमार्टम नहीं हो सका।
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…आखिर हुआ राजीनामा
दोनों मृतकों के परिजन को साढ़े चार लाख रुपए फैक्ट्री मालिक व 50-50 हजार रुपए ठेकेदार की ओर से देने की घोषणा की गई। साथ में करीब साढ़े चार हजार रुपए पेंशन और सरकार की ओर से मदद के आश्वासन के बाद परिजन राजी हुए। जिला प्रशासन की अनुमति लेकर पोस्टमार्टम किया गया।
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परिवार का छिना सहारा
मृतक हंसराज परिवार का इकलौता सहारा था। उसके एक नवजात बच्चा भी है। हंसराज की मौत के बाद उसके पिता हरदीन का रो-रो कर बुरा हाल है। उसकी मां बार-बार बेसुध हो रही है। उधर, मृतक बंशी के पिता हरजी का भी सहारा छिन गया।
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