
दीवार गिरते ही हुआ धमाका,दो श्रमिकों ने तोड़ा दम
अजमेर. उपखंड मुख्यालय किशनगढ़ स्थित औद्योगिक क्षेत्र में निर्माणाधीन फैक्ट्री की दीवार गिरने पर मलबे में दबने से दो श्रमिकों ने दम तोड़ दिया। वहीं तीसरा गंभीर घायल हो गया। इससे पहले कारीगर व श्रमिक दीवार पर प्लास्तर का काम कर रहे थे। तभी अचानक दीवार गिर गई। इस दौरान कोई समझ ही नहीं पाया कि अचानक यह क्या हुआ। दीवार का मलबा गिरते ही तेज धमाका हुआ।
आवाज सुनकर कई लोग मौके पर पहुंच गए। मलबे को हटाकर मजदूरों को बाहर निकाल अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें से चिकित्सकों ने दो श्रमिकों को मृत घोषित कर दिया। यह घटना बुधवार की है, लेकिन दूसरे दिन भी घटनास्थल पर सन्नाटा पसरा रहा। किशनगढ़ में खोड़ा माता इंडस्ट्रियल एरिया में हादसे के बाद पुलिस भी पहुंची।
खेड़ामाता औद्योगिक क्षेत्र में ओमप्रकाश जैथलिया की फैक्ट्री पर चारदीवारी का निर्माण किया जा रहा है। मजदूर नारायण बागरिया, बंसी बागरिया, हंसराज बागरिया, कालू बागरिया, पिन्टू प्रजापत प्लास्तर कर रहे थे। इस बीच दीवार गिरने से टिकावड़ा निवासी बंशी बागरिया, हंसराज बागरिया और नारायण बागरिया मलबे में दब गए। करीब आधे घंटे बाद उन्हें बाहर निकाल राजकीय यज्ञनारायण अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने हंसराज और बंशी को मृत घोषित कर दिया।
फैक्ट्र्री मालिक की लापरवाही !
निर्माणाधीन फैक्ट्री में दीवार की चिनाई के लिए ठेकेदार रामस्वरूप माली ने लैण्डर नहीं लगाए थे। इस पर श्रमिकों ने टोका था, लेकिन ठेकेदार ने कहा कि फैक्ट्री मालिक ने मना किया है कि बेकार का खर्चा करना बेकार है। इसके चलते दीवार में पटाव लगाए गए। जो मजबूती के हिसाब सही नहीं थे।
आरोप है कि यदि लैण्डर लगाए जाते तो दीवार नहीं गिरती। उधर,भाजपा नेता विकास चौधरी का आरोप है कि निर्माण में लापरवाही के चलते हादसा हुआ है। बड़ी-बड़ी दीवारें बिना लैण्डर से उठाई जा रही थी। दोनों मृतक युवा हैं। उनके परिवार के लिए रोजीरोटी का संकट हो गया है। इनके बच्चों की शिक्षा और अन्य जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
दिखाई फूर्ति और...
मृतकों का रिश्तेदार गोवर्धनपुरा भागचंद बागरिया भी मौके पर काम कर रहा था। अचानक जैसी ही दीवार गिरी। वह एक ओर कूद गया। नहीं तो वह भी दब जाता। साथ में अन्य मजदूर भी चपेट में आ सकते थे।
पहले बनी फिर बिगड़ी बात
विधायक सुरेश टांक, टिकावड़ा सरपंच बोदू जाट, उपसरपंच सांवरलाल नुवाल, मृतकों के रिश्तेदार और फैक्ट्री मालिक के प्रतिनिधि के बीच बातचीत हुई। पांच लाख रुपए का मुआवजा देने पर बात बन गई। मृतकों के परिजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गए,लेकिन बाद में दस-दस लाख रुपए मुआवजा देने की मांग को लेकर मामला बिगड़ गया। इसके चलते पोस्टमार्टम नहीं हो सका।
...आखिर हुआ राजीनामा
दोनों मृतकों के परिजन को साढ़े चार लाख रुपए फैक्ट्री मालिक व 50-50 हजार रुपए ठेकेदार की ओर से देने की घोषणा की गई। साथ में करीब साढ़े चार हजार रुपए पेंशन और सरकार की ओर से मदद के आश्वासन के बाद परिजन राजी हुए। जिला प्रशासन की अनुमति लेकर पोस्टमार्टम किया गया।
परिवार का छिना सहारा
मृतक हंसराज परिवार का इकलौता सहारा था। उसके एक नवजात बच्चा भी है। हंसराज की मौत के बाद उसके पिता हरदीन का रो-रो कर बुरा हाल है। उसकी मां बार-बार बेसुध हो रही है। उधर, मृतक बंशी के पिता हरजी का भी सहारा छिन गया।
Published on:
23 Jan 2020 06:24 pm
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