एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी
तुर्किए से किशनगढ़ मार्बल मंडी मेें सालाना करीब साढ़े 15 अरब का आयात और करीब एक अरब का मार्बल पत्थर निर्यात हो रहा है। एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी किशनगढ़ में 100 से 125 कारोबारी तुर्किए से मार्बल पत्थर का कारोबार कर रहे हैं। इनमें से 100 कारोबारी तुर्किए से मार्बल आयात और 15 से 20 कारोबारी निर्यात कर रहे हैं।
22 अरब तक का आयात
तुर्किए के साथ ही अन्य देशों से वर्तमान में प्रतिदिन 2 हजार टन मार्बल पत्थर किशनगढ़ में आयात किया जा रहा है। यह कारोबार रोजाना 6 करोड़ रुपए से अधिक का है। एक साल में करीब 22 अरब तक का आयात विदेशों से हो रहा है, जिसमें 70 फीसदी यानी करीब साढ़े 15 अरब का आयात केवल तुर्किए से हो रहा है।
दो से ढाई करोड़ से अधिक का निर्यात
किशनगढ़ से विदेशों में मार्बल के साथ ही ग्रेनाइड पत्थर का प्रतिदिन का निर्यात दो से ढाई करोड़ से अधिक का है। यहां से करीब 60 कंटेनर यानी 3 लाख वर्गफीट मार्बल व ग्रेनाइट पत्थर रोजाना विदेशों में निर्यात हो रहा है। इसमें से 10 फीसदी यानी की 25 लाख रुपए प्रतिदिन का मार्बल निर्यात तुर्किए होता है। एक साल में तकरीबन एक अरब का मार्बल निर्यात होता है।
इन देशों से मार्बल आयात
तुर्किए के साथ ही इटली, स्पेन, पुर्तगाल, वियतनाम, इजिप्ट एवं ईरान आदि कई अन्य देशों से मार्बल का आयात किया जा रहा है। इन देशों को निर्यात
यहां से तुर्किए के साथ ही चायना, यूएई, इटली, इजिप्ट, सउदी अरब, वियतनाम, यूएसए एवं अन्य गल्फ कंटरियों में मार्बल व ग्रेनाइट निर्यात किया जा रहा है।
आयातीत मार्बल
तुर्किए से तारामान गे्र, मून स्टोन सिलवर, बियान कॉ मार्बल, मून क्रीम, ग्रे विलियम, रिगल बेज, टर्किस बोटो चीनों समेत अन्य कई मार्बल की वैरायटी आयात की जाती हैं। निर्यात मार्बल
किशनगढ़ से तुर्किए को सावर, पालोदा, ग्रीन एवं अन्य कलरफुल मार्बल निर्यात किए जाते हैं। इनका कहना है… केंद्र सरकार के निर्देशानुसार ही तुर्किए या अन्य किसी देश से मार्बल व ग्रेनाइट का कारोबार किया जाता है। आगे भी सरकार के नियमों और निर्णय की पालना की जाएगी।
सुधीर जैन, अध्यक्ष, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन भारत सरकार तुर्किए से व्यापार को लेकर जो भी निर्णय लेगी उसी के अनुरूप कारोबार किया जाएगा। अतुल लुहाडिय़ा, मार्बल कारोबारी