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आठ माह की बच्ची को जाने कहां मिलेगी अब ठौर

-कोटा में मिली बच्ची अजमेर पहुंची, अब जयपुर ले गई मौसी

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आठ माह की बच्ची को जाने कहां मिलेगी अब ठौर

आठ माह की बच्ची को जाने कहां मिलेगी अब ठौर

हिमांशु धवल

अजमेर. बिन मां-बाप की एक दुधमुंही बच्ची को आठ दिन तक अजमेर के काली माता मंदिर में आंचल का साया मिला। बच्ची को होली पर उसके मौसा-मौसी यहां पुजारिन को सौंप गए थे। दोनों बुधवार को बच्ची को वापस लेकर चले गए लेकिन वह बच्ची को अपने पास नहीं रखना चाहते। एेसे में बच्ची अब किसके सहारे पलेगी, यह फिलहाल तय नहीं है।

शहर में शास्त्री नगर स्थित काली माता मंदिर में रहने वाली पुजारिन के पास सागवाड़ा निवासी उनका एक परिचित युवक अपनी मां, पत्नी और आठ महीने की बच्ची के साथ धुलंडी के दिन पहुंचा था। उसने बच्ची को पुजारिन के पास ही छोडऩे की इच्छा जाहिर की। पुजारिन के तैयार होने पर वह बच्ची को छोडक़र लौट गए। आठ दिन बाद पुजारिन ने युवक को वापस अजमेर बुलाया। बच्ची को छोडक़र जाने वाले युवक का कहना है कि उसकी पत्नी जो रिश्ते में बच्ची की मौसी भी है, को बच्ची को लेकर सपना आया था। जिससे वे बच्ची को वापस लेकर चले गए।

कोटा स्टेशन पर युवती के साथ मिली

युवक की मानें तो वह सागवाड़ा के एक हॉस्पिटल में काम करता है। पंद्रह दिन पहले वह अपनी मां के साथ धार्मिक यात्रा पर निकला तो कोटा के रेलवे स्टेशन पर पश्चिम बंगाल की एक युवती बच्ची के साथ मिली। उसने खुद के बेसहारा होने व बच्ची के मां-बाप की हादसे में मौत होने से मौसी होने के नाते नवजात को खुद पालना बताया। इस पर युवक ने युवती से शादी कर ली। शादी के बाद बच्ची को वे किसी को देना चाहते थे, इसलिए अजमेर में पुजारिन के पास छोड़ गए।

जयपुर छोडऩे गई मौसी

युवक ने बताया कि उसकी पत्नी के चाचा-चाची जयपुर में रहते हैं। उनके कोई संतान नहीं है। उन्होंने नवजात को गोद लेने की इच्छा जताई। जिस पर उसकी पत्नी नवजात को जयपुर ले गई। लेकिन युवक अजमेर रेलवे स्टेशन पर बुधवार शाम तक पत्नी के जयपुर से लौटने का इंतजार करता रहा, लेकिन वह नहीं आई। युवक का कहना है कि उसकी पत्नी पहले जयपुर में किराए के मकान में रहती थी, जिसका किराया बकाया होने पर मकान मालिक उसे लौटने नहीं दे रहे।