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सरकारी में मुफ्त जेनरिक दवा तो निजी अस्पतालों में क्यों नहीं?

भामाशाह व आयुष्मान भारत योजना के बावजूद नहीं मिल रही सुविधा राज्य सरकार को उठाना होगा जल्द सख्त कदम

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सरकारी में मुफ्त जेनरिक दवा तो निजी अस्पतालों में क्यों नहीं?

सरकारी में मुफ्त जेनरिक दवा तो निजी अस्पतालों में क्यों नहीं?

अजमेर (Ajmer). राज्य सरकार (State govt.)की ओर से प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों (Govt. Hospitals)में मुफ्त जेनरिक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सब सेन्टर हो चाहे मेडिकल कॉलेजों के अस्पताल सभी में जेनरिक दवाइयों की व्यवस्था होने से मरीजों को राहत मिली हुई है। सबसे अच्छा तो यह कि ये सभी जेनरिक दवाइयां मुफ्त मिल रही हैं। मगर अजमेर सहित प्रदेश के निजी अस्पतालों में जेनरिक (Generic) दवाइयां नहीं मिल रही हैं। निजी (Privet Hospitals)अस्पतालों में मुफ्त नहीं तो जेनरिक दवाइयों के काउंटर होने से उन्हें सस्ती दर पर दवाइयां उपलब्ध हो सकती हैं।

अजमेर सहित प्रदेश के निजी अस्पतालों में जेनरिक दवाइयों के लेबल व पैकिंग को आकर्षक कर फार्मा कंपनियों की ओर से महंगी दर पर ब्रांडेड के नाम से दवाइयां बेची जा रही हैं। इससे आम मरीज की जेब कट रही है, जबकि राज्य सरकार को निजी अस्पतालों में भी जेनरिक दवाइयों के काउंटर शुरू कराने चाहिए। खासकर सड़क दुर्घटनाओं एवं गंभीर बीमारी एवं स्पेशलिस्ट सेवाओं के चलते परिजन मरीज को निजी अस्पतालों में भर्ती कराते हैं, मगर यहां जेनरिक दवाइयों की उपलब्धता नहीं होने से दवाइयों के बिल हजारों रुपए के बना दिए जाते हैं। यदि निजी अस्पतालों में भी जेनरिक दवाइयों के काउंटर हों तो मरीजों व आमजन को राहत मिल सकती है। अजमेर के एक निजी अस्पताल में एक काउंटर पर जेनरिक की पर्ची लगी हुई है, मगर यहां की जेनरिक दवाइयां भी ब्रांडेड के नाम से सरकारी दरों से कहीं अधिक में मिल रही हैं।

केन्द्र व राज्य सरकार की दोनों योजनाएं फिलहाल संचालित

केन्द्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसी तरह राजस्थान में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके बावजूद जेनरिक दवाइयों का लाभ निजी अस्पतालों में नहीं मिल पा रहा है।

निजी अस्पताल में खुले काउंटर

राज्य सरकार की ओर से जब सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाइयां मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही हैं तो फिर निजी अस्पतालों में यह व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है। सरकार को इस ओर सोचने की जरूरत है। सरकार को पहल करते हुए अजमेर सहित प्रदेशभर के सभी निजी अस्पतालों में जेनरिक दवाइयों के काउंटर खोलने चाहिए, ताकि मरीज अपनी इच्छानुसार जेनरिक दवाइयों को प्राप्त कर सकता है। जेनरिक दवाइयों की सरकारी रेट के अनुसार निजी अस्पतालों में मरीज को सशुल्क उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

इनका कहना है...

जिन निजी अस्पतालों में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना एवं आयुष्मान भारत योजना संचालित हैं उनमें जेनरिक दवाओं के काउंटर खोलने के लिए सरकार उनको बाध्य करे, ताकि जेनरिक दवाइयों के काउंटर खुल सकें। जेनरिक दवाइयों में गुणवत्ता एवं क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहिए। नकली दवाइयों पर प्रभावी कंट्रोल होना चाहिए।

डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, वरिष्ठ फिजिशियन एवं पूर्व विधायक