22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Womens day: इनके प्रयासों से चहक रही घर-आंगन में बेटियां

अब कई विवाहिताएं और परिजन फोन कर बेटी पैदा होने की सूचना देते हैं, तो वे खुद भावुक हो जाती हैं।

2 min read
Google source verification
save daughter

save daughter

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

बेटियां बहुत अनमोल हैं इन्हें खिलखिलाने दो...यह काबिल बनकर आपके परिवार में खुशहाली लाएगी....तो आप गर्व करेंगे....कुछ इस अंदाज में डॉ. रीना व्यास मिश्रा लोगों को समझाकर बेटियों को बचाने की मुहिम में जुटी हैं। उनकी लगन और मेहनत के बूते ना केवल अजमेर समेत पूरे राज्य में कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरुकता बढी, बल्कि बालक-बालिकाओं के अनुपात में भी इजाफा हुआ है। डॉ. मिश्रा सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में जूलॉजी की रीडर हैं।

राह थी कठिन, नहीं छोड़ा हौसला
पत्रिका से बातचीत में डॉ. रीना ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने तीन वर्ष पूर्व बेटियां अनमोल हैं...कार्यक्रम की शुरुआत की थी समूचे राजस्थान से वॉलेन्टियर बनाए गए। कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम और समाज में कन्याओं के प्रति सकारात्मक समझाइश लक्ष्य था। अजमेर से मैं स्वेच्छा से मिशन में जुड़ी। राह कठिन थी पर शुरूआत से मैंने कुछ कर गुजरने की ठान ली।

मुस्कुराई बेटियां तो बढ़ी खुशी...
बेटियों को कम पढ़ाने और जल्द शादी जैसी परम्पराएं हावी हैं। चुनौतियों के बीच समझाना आसान नहीं था, लेकिन डॉ. रीना ने हिम्मत नहीं हारी। वे ग्रामीण इलाकों में स्कूल-पंचायत स्तर पर समझाइश के लिए पहुंची। घरों में बुजुर्गों, महिलाओं और पुरुषों से बातचीत शुरू की। बेटी और बहू कैसे दो घरों को रोशन करती हैं,इसकी जानकारी दी। समझाइश का तुरन्त असर नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे वे उनकी सोच को बदलने में कामयाब हुई। अब कई विवाहिताएं और परिजन फोन कर बेटी पैदा होने की सूचना देते हैं, तो वे खुद भावुक हो जाती हैं।

बह निकले युवाओं के आंसू
डॉ. रीना ने शहर और जिले के कॉलेज-स्कूल में छात्र-छात्राओं और नौजवानों को भी जोड़ा। लडक़ों को बताया कि कन्या ही मां, बहन, दादी, नानी और पत्नी का स्वरूप हैं। जब युवक-युवतियों को सोनोग्राफी में और कन्या भ्रूण को खत्म करने की दवाएं-तरीके, गर्भपात के बाद होने वाली मानसिक स्थिति बताई तो कइयों के आंसू बह निकले।

बालक-बालिका में नहीं फर्क
डॉ. व्यास ने बताया कि दो साल तक चले अभियान का व्यापक असर हुआ। राजस्थान में प्रति 1 हजार बालकों पर अब 950 बालिकाएं तक पहुंच गया है। 2021 की जनगणना में यह आंकड़े सामने आएंगे। सही मायने में बालक-बालिकाओं में कोई फर्क नहीं है। शिक्षा से समाज में बालिकाओं-महिलाओं के प्रति नजरिया बदला है, पर लेकिन धरातल पर अभी काफी कामकाज की जरूरत है।


गूंजेंगे फाल्गुन के गीत, बरसेंगे फिजा में रंग

अजमेर. शहर में होली पर्व पारम्परिक तरीके से मनाया जाएगा। सोमवार को विभिन्न स्थानों पर मंत्रोच्चार से पूजा-अर्चना के साथ होलिका दहन होगा। अगले दिन यानि मंगलवार को धूलंडी मनाई जाएगी। लोग एकदूसरे को गुलाल, अबीर और रंग लगाकर होली की शुभकामना देंगे। उधर रविवार को शहर के बाजारों में भीड़ जुटी है। लोगों ने मिठाई, रंग, गुलाल, पिचकारी और अन्य सामग्री खरीद रहे हैं।

शहर में सोमवार को होलीदड़ा, नया बाजार, पुरानी मंडी, मदार गेट, कवंडसपुरा, डिग्गी बाजार, ऊसरी गेट, दरगाह बाजार, नला बाजार, आदर्श नगर, बिहारी गंज, प्रकाश रोड, धौला भाटा, अलवर गेट, रामगंज, केसरगंज, सुभाष नगर, शास्त्री नगर, नाका मदार, गुलाबबाड़ी, वैशाली नगर, बी.के. कौल नगर, हरिभाऊ उपाध्याय नगर, लोहागल रोड, पंचशील, फायसागर रोड सहित अन्य इलाकों में चौराहों-मैदान में होलिका दहन होगा। होलिका दहन मुर्हूत के अनुसार शाम को होगा। लोग होलिका की फल-फूल,मिठाई, गोबर की माला, नारियल चढ़ाकर पूजा-अर्चना करेंगे। मंगलवार को धूलंडी होगी। कॉलोनियों, मोहल्लों में लोग एकदूसरे को रंग, गुलाल, अबीर लगाकर होली की शुकामनाएं देंगे।