कोरोना संक्रमण के दौरान जारी लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के लिए मंडी को भी रात्रि में खोला जा रहा है। इसके कारण आस-पास के काश्तकार अपनी उपज को काटकर मंडी नहीं ले जा पा रहे। इसका मुख्य कारण रात्रि में मंडी तक पहुंचने में दुश्वारी और कम भाव मिलना बताई जा रही है। राजस्थान पत्रिका की टीम ने काश्तकारों से की बातचीत।
पालक के नहीं मिलते भाव
मंडी में पालक के भाव 4-5 रुपए प्रति किलो भी बमुश्किल मिलते हैं। ऐसे में पालक को काटकर रात्रि में मंडी लेकर जाना महंगा पढ़ता है। इससे खेत में पालक बड़ा हो गया है। कोई खेत पर आता है तो तुरंत काट कर दे देते हैं।
– किशनसिंह, काश्तकार-होकरा बड़ा होने पर सुखा देंगे पोदीना खेत में पोदीना बो रखा है। भाव भी बहुत कम मिल रहे हैं। उसके बड़े होने पर काटकर सुखाने के बाद बेचना पड़ेगा। ताजे हरे पोदीने की गन्ने के रस सहित कई घरों में डिमांड होती थी, लेकिन वह भी नहीं है।
– सुखा सिंह, काश्तकार-होकरा
हरे प्याज की नहीं है मांग खेत में प्याज बोया था, लेकिन उसकी मांग नहीं होने के कारण भाव भी नहीं मिल रहे। रात्रि में मंडी में जाना संभव नहीं होता। अब फसल काटकर सुखा रहे हैं। कुछ दिनों बाद इसे वापस बो देंगे जिससे प्याज की पैदावार हो जाएगी।
– गेंदी देवी, काश्तकार-होकरा