
Gopal Das Neeraj
अलीगढ़। साहित्यकार और उसके रचनाकर्म का वास्तविक मूल्यांकन उसके जाने के बाद ही संभव होता है। जीवनकाल में उसका व्यवहार, जीवन व्यापार, व्यक्तित्व आदि कारक प्रभावी रहते हैं। शब्द संपदा सदैव जीवित रहती है और मूल्यांकन का आधार बनती है। अनेक साहित्यकार अपने जीवनकाल में शिखर पर थे लेकिन मृत्यु के बाद भुला दिये गये। जनवादी लेखक संघ और प्रगतिशील लेखक संघ के तत्वावधान में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एनआरएससी क्लब में महाकवि नीरज की श्रद्धांजलि सभा में अध्यक्षता करते हुए डॉ. नमिता सिंह ने नीरज जी के साहित्यक अवदान के मूल्यांकन पर विचार व्यक्त किये।
गीत में लय के साथ संगीत
प्रो. राजीव शुक्ल ने नीरज का विस्तार से परिचय दिया। कहा कि वे प्रेम और आध्यात्म के कवि थे, जिन्हें अपार लोकप्रियता मिली। अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले। अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आसिम सिद्दीकी ने अनेक कविताओं की चर्चा की। कहा कि नीरज के अनुसार गीत और कविता में संवेदना प्रमुख है लेकिन तर्करहित मन से ही उत्कृष्ट रचना सृजित होती है। गीत में लय के साथ संगीत प्रमुख तत्व होता है। इसलिये नीरज जी करते थे कि बिना गुनगुनाए गीत नहीं लिखा जा सकता। उन्होंने अपनी कविताओं में इंसान को सबसे अधिक महतव दिया।
मंच पर कविता को लोकप्रिय बनाया
डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि नीरज का काव्य संसार उस हाथी के समान है जिसे अलग-अलग लोगों ने अपनी समझ से देखा। उन्होंने कहा कि नीरज स्वयं को दार्शनिक कवि कहते थे और कविता उनके मोक्ष का माध्यम बनती थी। नीरज ने कविता में बिम्ब की ताकत को पहचाना और काव्य साधना की। उर्दू के प्रसिद्ध शायर महताब हैदर नक्वी ने कहा कि नीरज को मंच का कवि कहा जाता रहा लेकिन मंच के माध्यम से ही नीरज ने हिन्दी की साहित्यक कविता को लोकप्रिय बनाया। प्रगतिशील कविता का प्रचार प्रसार भी मंचों के माध्यम से हुआ।
कविता झरने की तरह
हिन्दी आलोचक अजय बिसारिया ने कहा कि नीरज की कविता में भाव शब्द और लय का ऐसा समन्वय होता है कि कविता झरने की तरह बहती चलती है। बिंब शब्द और लय एकाकार हो जाते हैं। उनकी कविता में हर शब्द की एक अर्थ छवि होती है और इसीलिये नीरज कहते थे कि कविता में पर्यावरण जैसे शब्द नहीं चलते। नीरज जनता की स्मृतियों में लम्बे समय तक रहेंगे क्योंकि उन्होंने आम जनता के दुखों और हालात को भी स्थान दिया। प्रो. आरिफ एच रिजवी ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि वे एक सफल जनता के कवि थे।
गीत और कविता को नया रंग दिया
प्रो. तसद्दुक हुसैन ने कहा कि नीरज ने साहित्य में लोकप्रियता के जिस शिखर को छुआ, वह बहुत कम लोगों को हासिल होता है। उन्होंने गीत और कविता को नया रंग दिया और हर पीढ़ी में लोकप्रिय हुए। अंत में एक शोक प्रस्ताव के साथ दो मिनट का मौन रख कर नीरज जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सभा में बड़ी संख्या में हिन्दी उर्दू के पाठक, लेखक और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
Published on:
28 Jul 2018 06:31 pm
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