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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मानवता की तालीम

सर सैयद ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्विवद्यालय की स्थापना करके सिर्फ मुसलमानों का नहीं, बल्कि समूची मानव जाति को लाभ दिया।

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Aligarh muslim university

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अलीगढ़। आईआईएमटी अलीगढ़ में सर सैयद द्विशताब्दी समारोह के अन्तर्गत ‘‘मौजूदा दौर में सर सैयद की शिक्षा की प्रासंगिकता’’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर कहा गया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मानवता की तालीम दी जाती है। सर सैयद ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्विवद्यालय की स्थापना करके सिर्फ मुसलमानों का नहीं, बल्कि समूची मानव जाति को लाभ दिया।

अपने ही मज़हब वालों का विरोध झेलना पड़ा
मुख्य अतिथि प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. हमीदा तारिक ने कहा कि सर सैयद एक विज़नरी और भारत के एक महान पुरुष थे। सर सैयद ने जो सपना भारतीय समाज के लिए देखा, उसे उन्होंने पूरा किया। सर सैयद ने आधुनिकता का पाठ पढ़ाने के कारण अपने ही मज़हब वालों का विरोध झेला। उनके हौसले को तोड़ने का अथक प्रयास किया, परन्तु वे नहीं माने और अपने मिशन को जारी रखा। उन्होंने कहा कि सर सैयद ने सभी को मोहब्बत और सम्मान दिया। धार्मिक भेदभाव को मिटा कर देश को आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने छात्र व छात्राओं का आव्हान किया कि हमें अपने भविष्य के साथ साथ देश की उन्नति और प्रगति के लिए भी कार्य करना चाहिए।

सर सैयद का दिल मानवता के लिए धड़कता था
मानद् अतिथि एडीएम फाइनेंस बी सिंह ने कहा कि यह केवल सर सैयद की मेहनत है जो आज अमुवि की शक्ल में हमें दिखाई दे रही हैं। उन्होंने कहा कि अमुवि मानवता की तालीम देती है और सर सैयद का दिल सदैव मानवता के लिए धड़कता रहता था। उन्होंने कार्यक्रम संयोजक प्रो. समदानी को बेहतरी कार्यक्रम आयोजन करने के लिए मुबारकबाद दी।

शिक्षा ही अच्छे समाज की बुनियाद
हिन्दी विभाग के प्रो. शम्भू नाथ तिवारी ने कहा कि सर सैयद ने बहुत पहले ही समझ लिया था कि शिक्षा ही एक अच्छे समाज की बुनियाद है। इसी कारण उन्होंने बिना किसी भेदभाव के एक ऐसी शिक्षण संस्था बनाई जो देश के साथ साथ पूरे विश्व को शिक्षा की रोशनी प्रदान कर रही है। सर सैयद परम्परा और आाधुनिकता में संतुलन देखना चाहते थे।

100 देशों में फैले हैं एएमयू के छात्र
कार्यक्रम संयोजक प्रो. शकील समदानी ने कहा कि सर सैयद ने अंग्रेजों को यह बताने की हिम्मत की कि 1857 का विद्रोह भारतीयों की कोई सोची समझी साजिश नहीं थी, बल्कि अंग्रेजों के भेदभाव और गलत नीतियों के कारण ऐसा हुआ। उन्होंने आगे कहा कि सर सैयद ने एमएओ कॉलेज बना कर एक ऐसा मॉडल दिया जिसके कारण शिक्षा के साथ साथ आधुनिक बुनियादों पर छात्रों की ट्रेनिंग का कार्य तेजी से आगे बढ़ा। उन्होंने आगे कहा कि अमुवि के छात्र विश्व के लगभग सौ देशों में फैले हुए हैं और अमुवि के साथ साथ भारत का नाम भी रोशन कर रहे हैं।

सर सैयद ने सभी भारतीयों को लाभ दिया
आईआईएमटी के सचिव इंजी. पंकज महलवार ने कहा कि अमुवि सारी शिक्षण संस्थाओं के लिए एक लैण्डमार्क रखता है। इसके संस्थापक सर सैयद ने शिक्षा में मूलभूत परिवर्तन किया जिससे मुसलमानों को ही नहीं बल्कि समस्त भारतीयों को इसका लाभ मिला। सर सैयद ने अपनी शिक्षा पद्धति से लोगों को संपूर्ण मानव बनाने का प्रयास किया। इस अवसर पर इरम दिलशाद एवं निशा शर्मा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। संचालन डॉ. सरवत उस्मानी ने किया। सभी अतिथियों एवं वक्ताओं को स्मृति चिन्ह एवं उपहार देकर सम्मानित किया।

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