
अलीगढ़। कानपुर के पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र दास की मृत्यु के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. एस ए आज़मी ने बढ़ती हुई आत्महत्या की घटनाओं को लेकर चिंता जतायी है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 11 लोग प्रति एक लाख की जनसंख्या पर आत्महत्या कर रहे हैं। किसी व्यक्ति को यदि आत्महत्या का विचार अगर आता है तो इसे भी गम्भीरता से लेना होगा। ऐसे लोगों में जिन्हें आत्महत्या का विचार आता है, उनमें से एक प्रतिशत लोग सचमुच आत्महत्या कर लेते हैं । आत्महत्या करने वाले लगभग 90 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक रोग या परेशानी से गस्त होते हैं । डिप्रेशन नशा, शिजोफ्रेनिया, लम्बे समय से दर्द से पीड़ित व्यक्तियों में आत्महत्या का खतरा ज्यादा रहता है।
पुलिस को बताएं
प्रो. एस ए आज़मी ने बताया कि लगभग 60 से 80 प्रतिशत लोग आत्महत्या करने के पहले कोई न कोई संकेत दे देते हैं। समुदाय, समाज, दोस्तों को यदि कोई ऐसा संकेत मिलता है तो तत्काल संज्ञान में लें और निकटवर्ती अस्पताल में जाने की सलाह दें । साथ साथ निकटवर्ती रिश्तेदार, दोस्त या पुलिस को सूचना देकर व्यक्ति को आत्महत्या से बचाया जा सकता है।
आत्महत्या का विचार कुछ देर के लिए
याद रहे आत्महत्या से सम्बन्धित कोई कॉल, मैसेज व्हाट्सएप, नेट पर कोई व्यक्ति भेजता है और यह रात्रि में भी हो सकता है, रात्रि हो या दिन, किसी भी समय व्यक्ति की सहायता के लिए तत्परता दिखाने में ही समझदारी है क्योंकि यदि किसी व्यक्ति को आत्महत्या का विचार आ गया तो कुछ देर का हो सकता है। ऐसे में उसे उचित परामर्श और सहातया मिल गई तो जीवन बचाने में सफलता मिल सकती है ।
Published on:
11 Sept 2018 05:22 pm
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