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थम नहीं रहा डेंगू का डंक, अबतक 6 हजार से अधिक मामले दर्ज

उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक 6000 से ज्यादा लोग हो चुके हैं डेंगू का शिकार। ये हैं टॉप 3 जिले जहां डेंगू बेकाबू हो गया है।

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dengue is increasing in up more than 6 thousand cases registered

राज्य में अब तक डेंगू के 6000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और सात मरीजों की मौत हो चुकी है। प्रशाशन ने डेंगू से लड़ने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। जिन जिलों में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले पाए जा रहे हैं वहां खास तौर पर दवा का छिड़काव किया जा रहा है।

ये तीन जिले हैं टॉप पर
Hindustan Times के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक डेंगू के मामलों वाले तीन जिले गौतम बुद्ध नगर (627 मामले), गाजियाबाद (575 मामले) और लखनऊ (700 मामले) हैं। इसके बाद लखनऊ में डेंगू के 415 मामले दर्ज किए गए हैं। इन जिलों में मरीजों की संख्या रोज बढ़ रही है। इसमें सबसे ज्यादा DEN-2 वेरिएंट प्रभावित लोग हैं।

इतने प्रकार का होता है डेंगू
डेंगू के चार प्रकार हैं (DEN-1, DEN-2, DEN-3, और DEN-4), और उनमें से DEN-2 लोगों को सबसे तेजी से संक्रमित करने के लिए जाना जाता है। इस साल, राज्य में 6,000 से अधिक लोग डेंगू से संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से सात की मौत हो गई है।


ऐतिहासिक रूप से डेंगू के मामलों में चरम देखा गया है। जीबी नगर के 46 सैंपल में 18 में डेंगू 2 स्ट्रेन मिला है। इसी तरह गाजियाबाद सहित अन्य जिलों के सैंपल में भी 20 से 30 फीसदी सैंपल में डेंगू 2 स्ट्रेन मिला है जबकि मुरादाबाद में लगभग 40, लखनऊ में 29, अलीगढ़ में 11 और मिर्ज़ापुर में भी पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं।


इस संबंध में केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक और मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डी हिमांशु कहते हैं कि 'डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं। इसमें डेंगू 1 और 2 स्ट्रेन के मरीज लगातार मिलते रहे हैं। यह कोई नया नहीं है। जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन्हें दोबारा डेंगू होता है। तो उसमें डेंगू 2 स्ट्रेन ज्यादा पाया जाता है। यदि एक महीने में किसी को दो बार डेंगू हुआ हो, तो विशेष सावधानी बरनी चाहिए।'


ये लक्षण हों तो डॉक्टर से करें संपर्क
डेंगू 2 स्ट्रेन में सॉक सिंड्रोम की संभावना रहती है। यानी मरीज के आंतरिक नसों से रक्तस्त्राव हो जाता है। ऐसे में पेट में पानी भरने, फेफड़े में संक्रमण भी होता है। आमतौर पर पांचवें से आठवें दिन के बीच खतरनाक स्थिति होती है। इसमें बीपी कम होता है। शरीर पर लाल चकत्ते नजर आते हैं। पेट में दर्द, उल्टी जैसी स्थिति होती है। इस स्थिति में तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। जबकि सामान्य स्थिति में डेंगू का असर आठवें दिन से कम होने लगता है।