
3 महीने से लापता इंस्पेक्टर की मां का छलका दर्द। फोटो सोर्स-AI
Crime News: करीब 80 दिन से अलीगढ़ पुलिस लाइन में तैनात इंस्पेक्टर अनुज कुमार लापता हैं। 17 सितंबर को वह लापता हो गए थे। मामले को लेकर पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
बुधवार को इंस्पेक्टर की मां सुशीला देवी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। पूरे मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए कोर्ट ने पुलिस के दावों पर संदेह जताया। याचिका में सुशीला देवी ने बताया कि 17 सितंबर की रात महुआखेड़ा थाना पुलिस उनके बेटे को प्रभात नगर कॉलोनी स्थित उसके घर से अपने साथ ले गई थी। इसके बाद से इंस्पेक्टर और पुलिस द्वारा मामले को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। कई बार शिकायत करने के बावजूद जब कोई ठोस जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अपनी पत्नी मनीता के साथ किराए के मकान में अनुज कुमार रह रहे थे। इंस्पेक्टर की मां का कहना है, "मैं अपने बेटे की तलाश में दर-दर भटकते-भागते थक गई हूं। मैं अलीगढ़ में सीनियर पुलिस अधिकारियों से मिली, लेकिन किसी ने मुझे कुछ नहीं बताया। कोई पुलिस अधिकारी 3 महीने तक लापता कैसे रह सकता है? मुझे अपने बेटे को ढूंढने के लिए HC से मदद क्यों लेनी पड़ रही है?"
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इंस्पेक्टर की मां ने कहा, "मुझे तो यह भी पक्का नहीं है कि वह जिंदा है या नहीं। मैं हर दिन उसके सुरक्षित लौटने की दुआ करता हूं। वे (पुलिस) दावा करते हैं कि मेरे बेटे का अपनी पत्नी से झगड़ा हुआ था। तो क्या? क्या इसका मतलब है कि वे उसे नहीं ढूंढेंगे? मुझे उम्मीद है कि HC मेरे बेटे को ढूंढने में मदद करेगा।"
मामले को लेकर DIG (अलीगढ़ रेंज) प्रभाकर चौधरी ने कहा, "चूंकि परिवार ने कुछ गंभीर दावे किए हैं, इसलिए मामले की पूरी जांच चल रही है।" इंस्पेक्टर अनुज कुमार 17 सितंबर को लापता होने से पहले अलीगढ़ में पोस्टेड थे।
सुनवाई के दौरान अलीगढ़ के SSP की ओर से दाखिल शपथपत्र में यह दावा किया गया कि 17 सितंबर को दाऊद खां रेलवे स्टेशन के पास मिला शव संभवतः इंस्पेक्टर अनुज कुमार का ही है। पुलिस ने इस आधार पर कोर्ट के सामने यह तर्क रखा कि लापता इंस्पेक्टर अब जीवित नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए इस दावे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि पुलिस बिना किसी ठोस सबूत के यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि मिला हुआ शव उसी इंस्पेक्टर का है, जबकि पहचान से जुड़े स्पष्ट प्रमाण पेश नहीं किए गए। कोर्ट ने पुलिस की रिपोर्ट को अधूरी और अस्पष्ट बताया।
पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि जिस इलाके में शव मिला, वहां लगे CCTV कैमरे खराब थे, इसलिए कोई फुटेज उपलब्ध नहीं है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की कि महत्वपूर्ण मामलों में अक्सर कैमरों के खराब होने की ही बात कही जाती है। कोर्ट ने इसे संभावित सबूत मिटाने की कोशिश मानते हुए पुलिस की कार्यशैली पर अविश्वास जताया।
हाईकोर्ट ने कहा कि मामला अब केवल अवैध हिरासत का नहीं रह गया, बल्कि यह आशंका भी गहरी हो गई है कि इंस्पेक्टर अनुज का दुखद अंत हो चुका है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस की रिपोर्ट खुद संकेत दे रही है कि वह अब जीवित नहीं हैं।
कोर्ट ने याचिका को अब क्रिमिनल विविध रिट में परिवर्तित करने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए फाइल को उपयुक्त पीठ के समक्ष भेजा जाए। साथ ही अगर संभव हो, तो 16 दिसंबर 2025 को इसे पहले वाद के रूप में लिस्ट किया जाए।
Published on:
11 Dec 2025 04:16 pm
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