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हिन्दी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड की निदेशक ने भारत और हिन्दी भाषा को लेकर कही बहुत बड़ी बात, जानिए क्या?

हिन्दी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड की निदेशक प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने हिन्दी की हालत विदेशों में भारत से कहीं बेहतर बताई। साथ ही भारत को अपने ही देश में बंटा हुआ कहा।

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अलीगढ़। ‘भारत’ अपने ही देश में ‘इंडिया’ है और बाहर ‘भारत’ है। किसी भी देश के दो नाम नहीं हो सकते। फ्रांस फ्रांस है, जर्मनी जर्मनी और स्पेन स्पेन है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है जो अपने ही देश में ‘भारत’ और ‘इंडिया’ नामों में बंट गया। अंग्रेजी बोलने वाले लोगों ने दूसरा भारत रचा है, जिसे वो इंडिया बोलते हैं। ये बातें हिन्दी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड की निदेशक प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने कहीं। वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के सिलसिले में भारत आयी थीं।

प्रो. पुष्पिता अवस्थी का कहना था कि भारत में जाति धर्म का भेद देखने को मिलता है। लेकिन सूरीनाम, फिजी और मॉरिशस जैसे देशों में नहीं मिलता। हिंदी की स्थिति भी भारत से ज्यादा अच्छी विदेशों में हैं। वहां के लोग हिंदी जुबान बोलते हैं। जब दो लोग मिलते हैं तो उनसे हिंदी में हालचाल पूछते हैं। प्रवासियों ने विदेशों में अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ा। वे खुद को हिंदुस्तानी कहते हैं। भारत को ऐसे देशों से सीख लेने की जरूरत है।

पुष्पिता पर एएमयू में हो रहा शोध
बता दें कि प्रो. पुष्पिता अवस्थी हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड की निदेशक हैं। विदेशों में भारत को जिंदा रखने के लिए प्रो. पुष्पिता अवस्थी पिछले 15-20 साल से कार्य कर रही हैं। वे मंदिरों में जाकर भारतवंशियों को हिंदी पढ़ाती हैं। हिंदी, अंग्रेजी और डच भाषा में कई पुस्तकें लिख चुकी हैं। भारतीय साहित्य, परंपरा और भारतीयता को जिंदा रखने के लिए वे जगह जगह कैंप का आयोजन कराती हैं। एएमयू के दो शोधार्थी उनपर शोध कर रहे हैं।