मैजिक ब्रिक का आकार सामान्य ईंट से छह गुना बड़ा है और इसका वजन करीब 17 किलो है।
अलीगढ़। सरकार लंबे समय से तमाम शहरों के कूड़े कचरे के निस्तारण की योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन अलीगढ़ की ए टू जेड कंपनी ने ऐसा करके दिखा दिया है। जिले में ए टू जेड कंपनी नगर निगम के सहयोग से कूड़े-कचरे से ईंट बना रही है। बताया जा रहा है कि ये यूपी का पहला प्रोजक्ट है। इस ईंट को बनाने में आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल) का प्रयोग किया जाता है और ये पूरी तरह ईको फ्रेंडली है। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर का कहना है कि पूरे भारत में अभी तक आरडीएफ का सदुपयोग नहीं किया गया है। ए टू जेड कंपनी यहां बनाई ईंट को अब तक गुड़गांव व लखनऊ में सप्लाई कर चुकी है। 17 किलो वजनी इस ईंट की कीमत 35 रुपये रखी गई है। इसे मैजिक ब्रिक का नाम दिया गया है।
सामान्य ईंट से छह गुना बड़ी
इस बारे में प्रोजेक्ट मैनेजर समय सिंह ने बताया कि अलीगढ़ में करीब डेली 400 टन कूड़ा सिटी से निकलता है। इसमें से 300 टन प्लांट में निस्तारण के लिए आता है। उसमें से 60 प्रतिशत कूड़ा कम्पोस्टेबल होता है। 40 फीसदी कूड़ा आरडीएफ बनता है। आरडीएफ से ही ईंट का निर्माण किया जाता है। मैनेजर ने बताया कि एक ईंट करीब 17 किलो की है। उसमें चार किलो आरडीएफ और बाकी बिल्डिंग मैटेरियल मिलाया जाता है। ये ब्रिक काफी मजबूत है और आम ब्रिक से करीब छह गुना बड़ी है। फिलहाल इसका प्रयोग गुड़गांव व लखनऊ में अब तक किया गया है। इसके वेट को कम करने रिसर्च एवं डेवलपमेंट का काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देख चुके प्रोजेक्ट
मैनेजर का कहना है कि अगर ये प्रोजेक्ट अलीगढ़ शहर में कामयाब हो जाता है तो हमारा गार्बेज जीरो फीसदी हो जाएगा क्योंकि पूरे भारत में अभी तक आरडीएफ का सदुपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आए थे, उनको हमारे एम डी ने ये आइडिया दिया था। उसी आइडिया के तहत ये प्रोजेक्ट शुरू किया गया।
लैब में किया जा चुका है टैस्ट
इस ईंट में 40 रुपए के आसपास लागत लग रही है और इसे 35 रुपए में बेचा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कराने के लिए नगर निगम से बातचीत चल रही है। फिलहाल इसका प्रयोग सड़क के किनारे, पार्क के सौंदर्यीकरण और टॉयलेट बनाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लैब में इसे टैस्ट किया जा चुका है। इसकी स्ट्रेंथ 150 किलो न्यूटन के आसपास है।