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महाकवि गोपाल दास नीरज रहेंगे अमर, पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज को किया जाएगा दान

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कालेज को आज सौंपा जाएगा पार्थिव शरीर, पहले आगरावासी करेंगे अंतिम दर्शन।  

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महाकवि गोपाल दास नीरज रहेंगे अमर, पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज को किया जाएगा दान

अलीगढ़। पद्मभूषण महाकवि गोपालदास नीरज मरने के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेडिकल स्टूडेंट के लिए दान किया गया है। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के पूर्व अध्यक्ष गोपालदास नीरज ने 2015 में कर्तव्य संस्था के जरिए देहदान की घोषणा की थी। इसके लिए उन्होंने औपचारिक फार्म भी भरा था। देहदान कर्तव्य संस्था साल भर में करीब 100 लोगों को देहदान के लिए प्रेरित कर चुकी है। नीरज का पार्थिव शरीर एम्स दिल्ली से आगरा प्रातः आठ बजे आएगा। बल्केश्वर में उनके अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे। फिर एक बजे अलीगढ़ ले जाया जाएगा।

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2015 में देहदान की शपथ ली थी
गोपालदास नीरज जी ने मरने के बाद भी जिन्दा रहने का संकल्प किया था। 2015 में देहदान करने की घोषणा की थी। वह चाहते थे कि मरने के बाद भी उनका शरीर समाज की सेवा करता रहे। नीरज जी ने कर्तव्य संस्था के देहदान के संकल्प से जुड़े है। उन्होंने इसके लिए शपथ पत्र अक्टूबर 2015 में दिया था। देहदान की शपथ के बाद एएमयू में जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। परिवार की सहमति भी ली जा रही है।

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ताकि अच्छे डॉक्टर बन सकें छात्र
गोपालदास नीरज जी ने आजीवन साहित्य की साधना की। श्रृंगार रस व प्रेम रस के गीत लिखे हैं और साहित्य लिखकर समाज को नई राह दिखाई। नीरज जी ने कहा था कि मरने के बाद अगर जिंदा रहना हैं तो देहदान से बेहतर कोई तरीका नहीं है। नीरज जी चाहते थे कि मेडिकल के छात्र उनकी देह पर शरीर की पूरी संरचना जानकर अच्छे डॉक्टर बने।

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मानव सेवाकी पराकाष्ठाः एएमयू कुलपति
गीतकार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज के निधन पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उनके निधन को हिन्दुस्तानी साहित्य तथा भारत की गंगा जमुनी सांस्कृतिक धरोहर के लिये एक बड़ी क्षति करार दिया है। उन्होंने कहा कि महाकवि नीरज ने निधन के उपरान्त अपने पार्थिव शरीर को शोध एवं अध्ययन के लिये अमुवि के जेएन मेडीकल कालेज को दान करके मानव सेवा की पराकाष्ठा को प्राप्त होने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि नीरज के निधन से रिक्त होने वाली जगह शायद ही कभी भरी जाए।