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एएमयू ने इस विधि से हार्ट की बाईपास सर्जरी कर रचा इतिहास

लगातार चार घण्टे तक चले इस आॅपरेशन में नौ सर्जन्स व चिकित्सकों की टीम ने सक्रिय भूमिका निभाई।

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अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग और सेंटर आॅफ कार्डियोलोजी के चिकित्सकों की टीम ने दिल के एक रोगी (आयु 50 वर्ष) पर हाइब्रिड माॅयोकार्डियल रिवेस्कुलराइजेशन (बाईपास सर्जरी) सफलता पूर्वक अंजाम दिया है। लगातार चार घण्टे तक चले इस आॅपरेशन में कार्डियोलोजी और कार्डियोथोरासिक विभाग के नौ सर्जन्स व चिकित्सकों की टीम ने सक्रिय भूमिका निभाई।

हाइब्रिड प्रोसीजर के जरिए पहली बार हुई सर्जरी

अलीगढ़ के उदगीर गांव के सखावत को सीने में दर्द के बाद जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज लाया गया, जहां एन्जियोग्राफी के बाद पता चला कि सखावत के दिल की तीनों खून की नलियों में रूकावट है और उनके दिल की धड़कन भी बहुत कम है। डाॅक्टरों ने हाइब्रिड प्रोसीजर अपना कर यह सर्जरी करने का निर्णय लिया जो मेडीकल काॅलेज के इतिहास में पहली बार की गई। कार्डियालोजी सेंटर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. एमयू रब्बानी, प्रो. आसिफ हसन, डाॅ. मलिक अजहरउद्दीन और डाॅ. रफी अनवर की टीम ने एक नली की रूकावट दूर करने के लिये स्टैंट डाला और उसके बाद कार्डियोथोरेसिक आॅपरेशन थियेटर में बाकी दो नलियों की रूकावट दूर करने के लिये बीटिंग हार्ट बाइपास सर्जरी की गई। कार्डियोथोरेसिक सर्जनों की टीम में प्रो. एमएच बेग, डाॅ. मोहम्मद आजम हसीन, डाॅ. ऐहतशाम हुसैन नक्वी, डाॅ. मामून करीमी और डाॅ. शमायल रब्बानी शामिल थे। एनेस्थीसिया डाॅ. नदीम रजा और उनकी टीम ने दिया।

एक वर्ष में की गईं दिल की पचास सर्जरी

सखावत और उनके परिवारीजनों ने सफल आॅपरेशन के लिये प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डाॅक्टरों और पैरामेडीकल स्टाॅफ का धन्यवाद दिया। कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएच बेग ने बताया कि जेएन मेडीकल काॅलेज में यह पहला हाइब्रिड प्रोसीजर था और सर्जनों की टीम इसे आगे भी निरंतर रूप से जारी रखेगी। डाॅ. ऐहतशाम हुसैन नकवी ने बताया कि जेएनएमसी में अकेली इसी वर्ष दिल की लगभग 50 सर्जरी की गयीं हैं। जेएनएमसी के प्रिन्सिपल प्रो. एससी शर्मा ने इस सफलता पर सर्जनों की टीम को मुबारक बाद पेश की।