इसकी रफ्तार को देखने वाले अचंभित होकर दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं। यात्री बसें चलाने के लिए परमिट फिटनेस सर्टिफिकेट, चालक परिचालक के लिए लाइसेंस तथा यूनिफॉर्म है, लेकिन जीपों तथा ऑटो रिक्शा मैजिक आदि के लिए यह सब नहीं चाहिए होता है। तभी तो यह वाहन बे-रोकटोक सड़कों पर फर्राटे भरते हुए पुलिस चौकियों, थानों तथा यातायात विभाग के दफ्तरों के सामने से कर्कश होर्न और कभी-कभी सायरन जैसी आवाज निकालते हुए निकल जाते हैं।
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कुछ वर्षों पूर्व कमांडर नाम की जीप हालांकि अभी भी कुछ स्थानों पर दौड़ रही हैं। उसमें 70 से 80 सवारियां अंदर और बाहर अलग साथ ही बोनट पर सवारियों के साथ लगेज रखकर ड्राइवर एक तरफ आधा लटका हुआ सैकड़ों जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हुए देखा जा सकता है। अब कमांडर का जमाना कुछ कम हुआ और सड़क पर तूफान जीप तूफान मचाने जैसा नाम वैसा काम भी। वाहन की चाल तूफानी के साथ-साथ बेहिसाब सवारिया तथा छत पर इतना सारा लगेज कि किसी छोटे ट्रक या बस की छत भी छोटी पड़ जाए। सामान के साथ दो पहिय वाहन साइकल नहीं एक नहीं दो-दो, तीन-तीन सामान साथ बंधी देखी जा सकती है।
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यह नजारा तब देखने के मिलता है। जब मजदूर या गुजरात जाते हैं या वहां से वापस अपने घरों को आते हैं। ऐसे समय के समान चलने वाले ये वाहन कर रहे यात्रियों ही नहीं। अपित सड़क पर पैदल दो पहिया या पहिया वाहनों वाले यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ करते आते हैं। कई ऐसी जीपें जिनके नंबर प्लेट पर पूरे नंबर नहीं हैं। वे भी सवारिया ढोकर दौड़ती है। यदि ये दुर्घटना कर भाग जाए तो इन्हें किस आधार पर पकड़ा जाए। यह यात्री बसों के आगे आगे सवारियां भरते जाते हैं तथा चालक परिचालको से जब तक तू-तू मैं में करते रहते हैं। क्योंकि यह उनके होते हैं। जो इन क्षेत्रों में हैं। जहां से बसें भी गुजरती हैं। बस मालिक तथा परिचालक परेशान होते रहते हैं।