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आरोपों से पलटी दुष्कर्म पीड़िता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को दी जमानत, जाने पूरा मामला

locationप्रयागराजPublished: Jun 05, 2022 03:05:13 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए, ट्रायल कोर्ट के लिए उपयुक्त मामलों में धारा 344 सीआरपीसी का सहारा लेने का समय आ गया है। वर्तमान मामले में चूंकि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पीड़िता मुकर गई है और अभियोजन पक्ष को पूरी तरह से नकार दिया है, इसलिए वह सरकार द्वारा भुगतान किए गए किसी भी मुआवजे के लाभ की हकदार नहीं है।

आरोपों से पलटी दुष्कर्म पीड़िता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को दी जमानत, जाने पूरा मामला

आरोपों से पलटी दुष्कर्म पीड़िता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को दी जमानत, जाने पूरा मामला

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के एक मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। पीड़िता ने मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया था और उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया था। मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय कुमार सिंह की खंडपीठ ने निचली अदालत को उसे भुगतान किए गए मुआवजे की वापसी के लिए कदम उठाने और मामले में धारा 344 सीआरपीसी झूठे सबूत देने के लिए ट्रायल के लिए समरी प्रोसीजर का अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश जारी किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए, ट्रायल कोर्ट के लिए उपयुक्त मामलों में धारा 344 सीआरपीसी का सहारा लेने का समय आ गया है। वर्तमान मामले में चूंकि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पीड़िता मुकर गई है और अभियोजन पक्ष को पूरी तरह से नकार दिया है, इसलिए वह सरकार द्वारा भुगतान किए गए किसी भी मुआवजे के लाभ की हकदार नहीं है। मामले में जमानत याचिकाकर्ता हरिओम शर्मा पर पीड़िता के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा था और उसे 12 दिसंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान को देखते हुए उसकी पहली जमानत अर्जी 13 अगस्त 2021 को खारिज कर दी गई थी।
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मुकदमे के दौरान, उसने अभियोजन पक्ष के मामले को स्वीकार नहीं किया था और उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया था। उसने यह भी कहा कि उसने धारा 164 सीआरपीसी के तहत अपने बयान में बलात्कार का आरोप पति और पुलिस के कहने पर लगाया था। इसे देखते हुए, आरोपी ने तत्काल दूसरी जमानत याचिका दायर करते हुए तर्क दिया कि हाईकोर्ट की समन्वय पीठ द्वारा सह-अभियुक्तों को जमानत दे दी गई है और उनका मामला बेहतर स्तर पर है।
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