12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से किया जवाब-तलब, जानिए मामला

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने रविंदर सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रेम कुमार चौरसिया ने बहस की। इनका कहना है कि 31अक्टूबर 13व 3सितंबर 14को 60मीटर सड़क के लिए पुराने अधिग्रहण कानून के तहत याची की जमीन अधिगृहीत की गई।

less than 1 minute read
Google source verification
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से किया जवाब-तलब, जानिए मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से किया जवाब-तलब, जानिए मामला

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नया कानून लागू होने के बाद समाप्त हुए कानून में भूमि अधिग्रहण की वैधता की चुनौती याचिका पर नोटिस जारी कर राज्य सरकार व यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण गौतमबुद्ध नगर से छः हफ्ते में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने रविंदर सिंह की याचिका पर दिया है।

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट राज्य सरकार सरकार से मांगा जवाब, जानिए वजह

याचिका पर अधिवक्ता प्रेम कुमार चौरसिया ने बहस की। इनका कहना है कि 31अक्टूबर 13व 3सितंबर 14को 60मीटर सड़क के लिए पुराने अधिग्रहण कानून के तहत याची की जमीन अधिगृहीत की गई। याची ग्राम नगला हुकुम सिंह मायरा,करौली बांगर, तहसील जेवर, गौतमबुद्ध नगर का निवासी है।2013मे नया अधिग्रहण कानून लागू हो गया है।पुराना कानून खत्म कर दिया गया है।ऐसे में पुराने कानून में अधिग्रहण कार्यवाही नहीं की जा सकती।याची ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है। याचिका की सुनवाई छः हफ्ते बाद होगी।

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट पुलिस हिरासत मौत के मामले में सख्त, अपर मुख्य सचिव गृह से क्यों मांगा व्यक्तिगत हलफनामान्यायिक जांच में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार‌ ठहराया गया है। कहा है कि पुलिस ने मृतक का पोस्टमार्टम नहीं कराया और लाश घर वालो‌ं को न सौंप पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत गंभीर मामला है। न्यायिक जांच में पुलिस की खुदकुशी की कहानी गलत साबित हुई है।ऐसे में बड़े अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने पर विचार करना चाहिए।