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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- बाल अपराध मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए तंत्र किए जाए विकसित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों के खिलाफ होने वाले बाल यौन अपराध संरक्षण कानून के तहत कोर्ट में तुरंत जानकारी नहीं मिलने की वजह से न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की है। इसके अलावा कोर्ट ने तत्काल जानकारी उपलब्ध कराने के लिए लिए बाल कल्याण समिति को दो हफ्तों में निर्णय लेने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश की प्रति महानिबंधक को भेजने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने याचिका पर आदेश दिया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- बाल अपराध मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए तंत्र किए जाए विकसित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- बाल अपराध मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए तंत्र किए जाए विकसित

प्रयागराज: यौन अपराध पर कंट्रोल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि बाल यौन अपराधों के मामले में दाखिल केस पर स्पीड पोस्ट या फिर साधारण डाक से भेजने पर समय अधिक लगता है, जिसकी वजह से न्यायिक प्रक्रिया में अधिक समय लगता है इसलिए कुछ ऐसी व्यवस्था लागू हो जिससे कोर्ट को समय से जानकारी मिल सके।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाहिर की नाराजगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों के खिलाफ होने वाले बाल यौन अपराध संरक्षण कानून के तहत कोर्ट में तुरंत जानकारी नहीं मिलने की वजह से न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की है। इसके अलावा कोर्ट ने तत्काल जानकारी उपलब्ध कराने के लिए लिए बाल कल्याण समिति को दो हफ्तों में निर्णय लेने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश की प्रति महानिबंधक को भेजने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने याचिका पर आदेश दिया है।

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएसी कांस्टेबल नियुक्ति मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब

कोर्ट ने कहा...

बाल यौन अपराध मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध में स्पीड पोस्ट या फिर साधारण डाक से जानकारी भेजने में काफी समय लगता है। जिसकी वजह से नायिक कार्य में काफी समय लगता है। इसीलिए कुछ ऐसी व्यवस्था लागू हो जिससे न्यायालय को समय से जानकारी मिल सके और केस की सुनवाई जल्द हो सके।

कोर्ट ने प्रदेश में हर जिले की बाल कल्याण समितियों को व्यवस्था मुहैया कराने के लिए आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले को लेकर प्रमुख सचिव न्याय उत्तर प्रदेश, प्रमुख सचिव महिला व बाल विकास, सचिव हाईकोर्ट विधिक सेवा और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को इस आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया है।