19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

17 की उम्र में ही अतीक बना डॉन, जानिए कैसे तांगेवाले के बेटे से डरते थे लोग?

Atiq Ahmed News : फिरोज अहमद अपने बेटे अतीक को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे, लेकिन अतीक का पढ़ाई में मन नहीं लगता था।

4 min read
Google source verification
Atiq Ahmed News

अतीक अहमद

उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी माफिया अतीक अहमदाबाद के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। अतीक को प्रयागराज दो वज्र वाहनों के साथ यूपी पुलिस की 6 गाड़ियों के साथ लाई। इसी मामले में आज यानी 28 मार्च को कोर्ट में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पेशी होनी है। आज पूरे यूपी में अतीक अहमद की बात हो रही है, तो हम आपको बताते हैं जुर्म से लेकर राजनीति में आने तक का अतीक का सफर। आइए जानते हैं पूरी कहानी।

अवैध संपत्तियों कर दिया गया जमींदोज
एक वक्त था जब अतीक अहमद के नाम से प्रयागराज में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में लोग खौफ खाते थे। मगर उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर अतीक अहमद के बुरे दिन शुरू हो गए। अतीक के खिलाफ कई मामले किए गए। साथ ही दर्ज मामलों में कार्रवाई शुरू हुई और उसकी अवैध संपत्तियों और निर्माण को जमींदोज कर दिया गया।

अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को श्रावस्ती जिला में हुआ था। अतीक के पिता का नाम फिरोज अहमद था। अतीक अहमद के परिवार में पत्नी शाइस्ता परवीन, बड़ा बेटा उमर, दूसरा बेटा अली, तीसरा बेटा, असद चौथा बेटा, अहजम और पांचवा अबान है। फिरोज अहमद रोजी-रोटी के लिए इलाहाबाद यानी प्रयागराज आ गए और यहां तांगा चलाने लगे।

यह भी पढ़ें : गुरुजी पास कर दीजिए मेरी शादी होने वाली है, पास हो जाऊंगी तो ससुराल में लाज बच जाएगी

अतीक का पढ़ाई में नहीं लगता था मन
फिरोज अहमद को लोग यहां फिरोज तांगेवाला के नाम से लोग जानने लगे। फिरोज अहमद अपने बेटे अतीक अहमद को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे, लेकिन अतीक का पढ़ाई में मन नहीं लगता था। उसने 10वीं में फेल होने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी। अतीक अब कम उम्र में ही अपराध की दुनिया मे कदम बढ़ाने लगा।

साल 1986 में गैंगस्टर एक्ट का पहला केस हुआ दर्ज
साल 1979 में महज 17 साल की उम्र में अतीक पर कत्ल का पहला इल्जाम लगा। इसके बाद धीरे-धीरे अतीक अपराध की दुनिया का बादशाह बन गया। अतीक को लोग जानने लगे फिर गिरोह में लोग बढ़ते चले गए। वहीं इसका वर्चस्व भी बढ़ने लगा। अतीक अहमद पर साल 1986 में गैंगस्टर एक्ट का पहला केस दर्ज हुआ। कहा जाता है कि अतीक ने साल 1989 में अपने उस्ताद चांद बाबा की भी हत्या कर जुर्म की दुनिया मे अपना नाम कर लिया।

चांद बाबा के खिलाफ निर्दलीय लड़ा चुनाव
पूरे यूपी से अतीक अहमद के गिरोह में लगभग 120 शूटर थे। इसी बीच अतीक अहमद का बड़े नेताओं के बीच उठना बैठना शुरू हो गया। अब अतीक जान चुका था कि पैसे के साथ पॉवर की भी जरूरी है, तो उसने साल 1889 में चांद बाबा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और उसे जीत हासिल हुई। अतीक ने तीन बार निर्दलीय चुनाव जीता और साल 1996 में सपा के टिकट से मिला और फिर जीत हासिल की। अतीक का राजनीति में तो कद बढ़ ही रहा था, वहीं अपराध की दुनिया में भी तेजी से नाम हो रहा था।

यह भी पढ़ें : आरिफ-सारस मामले में प्रियंका भी कूदीं, जानिए उन्होंने ऐसा क्या कहा?

साल 2004 में अतीक बन गया सांसद
अतीक अहमद ने साल 2004 में सोनेलाल पटेल की अपना दल पार्टी जॉइन की और फूलपुर संसदीय सीट का चुनाव जीत कर सांसद बन गया। अब सांसद बनने के बाद उसकी विधानसभा सीट खाली हो गई, तो उसने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को सपा से चुनाव लड़वाया, लेकिन बसपा के राजू पाल ने शहर पश्चिमी से चुनाव जीत लिया और विधायक वे बन गए।

अतीक और अशरफ इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए। आरोप है कि इन्होंने 25 जनवरी 2005 को विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या करवा दी। फिर अशरफ ने चुनाव लड़ा और जीत मिली। हत्या के 10 दिन पहले ही राजू पाल शादी हुई थी। पत्नी पूजा पाल ने अतीक अशरफ के अलावा और लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया।

अतीक को मोस्टवांटेड अपराधी किया गया घोषित
साल 2007 में यूपी मे बसपा की सरकार बनी। मायावती, सीएम बनीं तो पूजा पाल को विधायकी का टिकट दिया और पूजा पाल ने जीत हासिल की और विधायक बन गईं। इसके बाद अतीक को मोस्टवांटेड अपराधी के साथ उसपर इनाम घोषित कर दिया। अतीक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। साल 2014 में अखिलेश सरकार के बाद अतीक को जमानत मिल गई। फिर अतीक ने सपा से टिकट लेकर श्रावस्ती से चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार मिली।

साल 2017 में जब यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो अतीक अहमद के बुरे दिन शुरू हो गए। एक व्यापारी को जेल में धमकी देने और पिटाई का वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद अतीक को गिरफ्तार किया गया और फिर उसे गुजरात की साबरमती जेल में भेज दिया गया।