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17 साल पुराना वो मामला, जिसने अतीक को आज उम्रकैद और फांसी के करीब पहुंचा दिया!

locationप्रयागराजPublished: Mar 28, 2023 09:04:49 am

Submitted by:

Vishnu Bajpai

माफिया डॉन अतीक अहमद को यूपी के प्रयागराज जिस केस के लिए लाया गया है। वह 17 साल पुराना मामला है। इस केस ने आज अतीक और उसके भाई अशरफ को उम्रकैद और फांसी तक पहुंचा दिया है।

 Mafia Atiq Ahmad in Naini Jail
प्रयागराज के उमेशपाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी और माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज लाया गया है। 28 मार्च यानी मंगलवार को इन दोनों की प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी है। दावा किया जा रहा है कि इस केस में मंगलवार को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। इसमें अतीक और अशरफ को फांसी या उम्रकैद की सजा हो सकती है। आइये जानते हैं कि आखिर 17 साल पहले ऐसा क्या हुआ था। जिसकी वजह से आज अतीक और उसके भाई अशरफ उम्रकैद या फांसी तक पहुंच गए हैं।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को जिस केस में पेशी के लिए साबरमती और बरेली जेल से लाया गया है। वो 17 साल पुराना केस राजूपाल की हत्याकांड के गवाह उमेशपाल के अपहरण का है। कहा जा रहा है कि इस केस में जो धाराएं लगी हैं उनके तहत अतीक और अशरफ को सबसे बड़ी सजा यानी फांसी या फिर उम्रकैद भी हो सकती है।
28 फरवरी 2006 को उमेश का किया गया था अपहरण
28 फरवरी 2006 को उमेश पाल का अपहरण हुआ था। उमेश ने अपने अपहरण के एक साल बाद इस मामले की एफआईआर तब दर्ज कराई जब सूबे की सत्‍ता में बसपा आई। उमेश की शिकायत पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में अतीक, अशरफ और उसके करीबियों पर केस दर्ज किया। उमेश ने आरोप लगाया था कि उसे अगवा कर प्रयागराज के चकिया स्थित अतीक के दफ्तर पर ले जाया गया था। अतीक के दफ्तर में एक टार्चर रूम भी है। पुलिस मान रही है कि उमेश को उसी जगह ले जाकर बंधक बनाया गया था। वहां से बुरी तरह पीटा गया था।
पीटने के बाद जबरन लिया था हलफनामा
अपहरण के बाद पूरी रात दफ्तर में पीटने और धमकाने के बाद उमेश से हलफनामा लिया गया कि वह राजू पाल हत्‍याकांड के दौरान मौके पर नहीं था। इतना ही नहीं हलफनामे के साथ दूसरे दिन एक मार्च को अतीक के करीबियों ने अतीक के करीबियों ने उमेश पाल को ले जाकर कोर्ट में पेश कर दिया। वहां उमेश ने गवाही दी कि हलफनामा वह अपने होशोहवास में लगा रहा है। उसने पेशी पर गवाही दी थी कि वह राजू पाल हत्‍याकांड के समय मौके पर नहीं था। इसके बाद उमेश को छोड़ दिया गया।
बसपा की सरकार आई तब दर्ज हुआ मुकदमा
तब प्रयागराज में चर्चा फैली थी कि उमेश अतीक से मिल गया। हालांकि प्रदेश में सरकार बदली और मायावती मुख्‍यमंत्री बनीं तो पांच जुलाई 2007 को उमेश ने अपहरण कर दफ्तर में ले जाने, बंधक बनाने और जबरन हलफनामा तैयार कराने और गवाही दिलाने का आरोप लगाते हुए धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया।
इस धारा के तहत हो सकती है सबसे बड़ी सजा
उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक और उसके साथियों पर धारा 147, 148, 149, 323, 341, 504, 506, 342, 364, 34, 120 बी भातीय दंड संहिता और सातवां आपराधिक दंड विधि संशोधन अधिनियम के तहत आरोप बना है। इनमें आईपीसी की धारा 364 ए सबसे बड़ी है। यह अपहरण के लिए दंड का प्रावधान करती है। जिला शासकीय अधिवक्‍ता गुलाबचंद अग्रहरी ने बताया कि इसके तहत अधिकतम सजा फांसी अथवा आजीवन कारावास और जुर्माना की व्‍यवस्‍था है।

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